सिक्किम सीमा को लेकर दोंनों देशों में चल रहे विवाद के बीच एक बार फिर से चीन ने भारतीय सेना हटाने के लिए कहा है। साथ ही भारत में चीनी दूतावास के पॉलिटिकल काउंसलर ली या ने अपने एक स्टेटमेंट में भारत के दावे को खारिज करते हुए कहा है कि डोकलाम भूटान को हिस्सा नहीं है।
ली या दावा किया है कि भारत के दावे का कोई सबूत नहीं हैं कि डोकलाम भूटान का है। ली या ने दावा किया कि चीन के पास ये साबित करने के लिए कई पुराने रिकॉर्ड हैं कि डोकलाम चीन से जुड़ा है।
चीनी दूतावास ने डोकलाम को लेकर ताजा स्थिति को लेकर ली या की ब्रीफिंग का एक वीडियो जारी किया है. वीडियो में काउंसलर ने कहा कि दोनों सेनाओं के बीच गतिरोध दूर करने के लिए पहले भारत को अपनी सेना बिना किसी शर्त के और तुरंत पीछे हटानी होगी. इसके बाद ही भारत और चीन में कोई वार्ता शुरू होगी.
ली ने कहा है, ‘मैं भारत-चीन और भूटान-चीन सीमा क्षेत्र में कई बार गया हूं और डोकलाम के बारे में सीधी जानकारी है। यह खंड की सीमाएं भारत और ग्रेट ब्रिटेन के बीच तिब्बत और सिक्किम को लेकर हुई 1890 की संधि से निर्धारित हैं। इसका मतलब चीन की क्षेत्रीय संप्रभुता को भारतीय सेना ने नुकसान पहुंचाया है।’
काउंसलर ने आगे कहा, ‘पिछले दशक में भारत-चीन और चीन-भूटान सीमा मामलों पर मेरी जानकारी, काम के आधार पर मैं कहना चाहूंगा कि भातर की स्थिति और दावे दोनों आधारहीन हैं। हमारे पास इस बात के पक्के सबूत हैं कि डोकललाम चीन का हिस्सा है। यह क्षेत्र हमेशा चीनी सीमा पर रहने वाले लोगों के लिए चारागाह रहा है।’
अपनी बात को साबित करने के लिए ली या ने दावा किया कि शीज़ेंग के स्वायत्त क्षेत्र में अब भी भूटानी चरवाहों द्वारा दिए घास कर की रसीदें मौजूद हैं।
आपको बता दें कि डोकलाम को लेकर भारत और चीन के बीच विवाद तब से जारी है जब वहां सड़क बनाने आए चीनी सैनिकों को रोकने में भारत ने भूटान की मदद की थी। डोका ला भारत में पड़ने वाला एक मार्ग है जो डोकलाम पठार को भूटान से जोड़ता है। डोकलाम को लेकर चीन का भूटान से विवाद है। भारत में इसे डोका ला कहा जाता है जबकि इसका भूटानी नाम डोकलाम कहता है वहीं चीन इसके डोंगलांग होने का दावा करता है।