7 मुस्लिम देशों के नागरिकों के अमेरिका आने-जाने पर अस्थायी रोक के फैसले की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी आलोचना हो रही है। अमेरिका के करीबी सहयोगी यूरोपीय यूनियन ने ट्रंप सरकार के इस फैसले की निंदा की है। वहीं, कनाडा ने शरणार्थियों को आश्रय देने का ऐलान किया है। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने ट्वीट किया, ‘दमन, आतंकवाद और युद्ध की वजह से पलायन करने वालों का कनाडावासी बिना किसी भेदभाव के स्वागत करेंगे, चाहे उनका धर्म कुछ भी हो। विविधता हमारी ताकत है।’
गूगल, फेसबुक, माइक्रोसॉफ्ट, ट्विटर ने भी की आलोचना
गूगल के भारतीय मूल के सीईओ सुंदर पिचाई और फेसबुक के सीईओ मार्क जकरबर्ग ने भी ट्रंप सरकार के फैसले की आलोचना की है। पिचाई ने इसे ‘दुखद’ निर्णय बताते हुए कहा कि इससे गूगल के कम से कम 187 कर्मचारियों पर असर पड़ेगा। माइक्रोसॉफ्ट के भारतीय-अमेरिकी सीईओ सत्य नडेला ने लिंक्डइन पर एक नोट पोस्ट करते हुये कहा, ‘कंपनी इस महत्वपूर्ण विषय पर समर्थन करती रहेगी।’ उन्होंने कहा कि एक प्रवासी और कपंनी का सीईओ होने के नाते उनके पास दोनों अनुभव हैं और उन्होंने देश, दुनिया और उनकी कपंनी पर आव्रजन का सकारात्मक प्रभाव देखा है।
कंपनी ने एक बयान में कहा, ‘हम सूची में शामिल देशों के हमारे कर्मचारियों पर शासकीय आदेश के असर के बारे में चिंताओं को साझा करते हैं, ये सभी कानूनी तरीके से अमेरिका में रहते रहे हैं और हम उन्हें कानूनी सलाह और सहायता देने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं।’ कंपनी ने कहा कि उसे प्रतिबंधित सात देशों के 76 कर्मचारियों की जानकारी है।
जकरबर्ग ने भी कुछ मुस्लिम बहुल देशों के प्रवासियों और शरणार्थियों पर रोक लगाने के फैसले की आलोचना करते हुए कहा कि अमेरिका प्रवासियों का देश है और उसे इस पर गर्व करना चाहिये। जकरबर्ग ने अपने फेसबुक पेज पर लिखा, ‘आपकी तरह, मैं भी राष्ट्रपति ट्रंप के हाल ही के शासकीय आदेश से पड़ने वाले असर को लेकर चिंतित हूं।’
ट्विटर ने भी ट्वीट कर प्रवासियों के प्रति अपना समर्थन जताया है। ट्विटर ने अपने आफिशल ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया, ‘ट्विटर सभी धर्मों के प्रवासियों से बना है। हम उनके साथ हमेशा खड़े हैं।’