एनपीटी में पाकिस्तान के शामिल होने के मामले में भारत उसका रास्ता नहीं रोके, इस खातिर मिस्टर राफेल ने एक प्रस्ताव दिया था। इसमें कहा गया था कि एक गैर एनपीटी मेंबर देश को इस बात पर सहमत होना चाहिए कि वह ऐसे किसी दूसरे गैर एनपीटी मेंबर देश के रास्ते में रुकावट नहीं बनेगा।
आर्म्स कंट्रोल असोसिएशन के एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर डैरिल किम्बॉल ने चेताया कि मिस्टर राफेल ने जो फॉर्म्युला सुझाया है, उससे पाकिस्तान को अलग रखने के कई कारण मौजूद हैं। उन्होंने कहा कि इन दस्तावेजों के मुताबिक, सदस्यता के लिए भारत की तरह पाकिस्तान को भी उन कसौटियों को पूरा करना होगा लेकिन एनएसजी सदस्य देशों के साथ सिविल न्यूक्लिअर ट्रेड की खातिर उसे अलग से एनएसजी की छूट हासिल करनी होगी। यह छूट व्यापक स्तर पर सुरक्षात्मक जरूरतों पर आधारित होगी।
एनएसजी में शामिल होने के लिए किसी देश को एनपीटी पर साइन करना होता है। भारत और पाकिस्तान के अलावा इजरायल ने अभी तक एनपीटी पर साइन नहीं किया है। इसी को लेकर कई देश एनएसजी में भारत की एंट्री का विरोध कर रहे हैं जिनमें चीन प्रमुख है। हालांकि, मिस्टर किम्बॉल ने कहा कि राफेल ने जो फॉर्म्युला सुझाया है, उसके आधार पर भारत यह दावा कर सकता है कि उसने सदस्यता की खातिर जरूरी सभी कदम उठा लिए हैं। इस वजह से भारत को एनएसजी में एंट्री मिल सकती है और पाकिस्तान इससे बाहर हो सकता है।