अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के हाल में लिए गए फैसले पर पाकिस्तान की एक्टिविस्ट और नोबल पुरुस्कार विजेता मलाला युसुफजई नाराज हैं। मलाला का कहना है कि शरणार्थियों पर दिए गए ट्रंप के आदेश से मेरा दिल टूट गया है। मलाला ने कहा कि मुझे दु:ख है कि अमेरिका अपनी पुरानी नीति को बदल रहा है जो कि शरणार्थियों और अप्रवासियों के लिए थी।
मलाला ने ट्रंप से अनुरोध किया कि वह दुनिया के सबसे असुरक्षित लोगों को अकेला ना छोड़ें। पाकिस्तान में लड़कियों के लिए शिक्षा की खुलकर वकालत करने वाली 19 साल की मलाला को 2012 में तालिबानी आतंकवादियों ने सिर में गोली मार दी थी। मलाला ने कहा ‘मैं अत्यंत दुखी हूं कि आज राष्ट्रपति ट्रंप हिंसा और युद्धग्रस्त देशों को छोड़कर भाग रहे बच्चों, माताओं और पिताओं के लिए दरवाजे बंद कर रहे है।’
मलाला ने कहा कि मुझे दुख है कि अमेरिका अपनी पुरानी नीति को बदल रहा है जो कि शरणार्थियों और अप्रवासियों के लिए थी। जिन लोगों ने अमेरिका को बनाने में उसकी मदद की और अपनी कड़ी मेहनत के बाद उसे इस लायक बनाया कि वह और लोगों को नई जिंदगी दे सके। यूसुफजई ने कहा कि सीरिया के शरणार्थी बच्चों का इसमें क्या दोष है जिन्हें पिछले छह साल से इस युद्ध की से उनका कितना नुकसान हुआ है। मलाला ने अपने एक दोस्त का जिक्र करते हुए बताया कि वह सोमालिया, यमन और इजिप्ट में युद्ध के कारण अमेरिका में पढ़ने के लिए अपनी बहन के पास है। उसे उम्मीद थी कि यहां उसके लिए कुछ अच्छा होगा।
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