एक प्रतिष्ठित दक्षिण एशियाई विशेषज्ञ ने कहा है कि पाकिस्तान स्वयं को बहुत महत्वपूर्ण समझता है और जब तक शेष दुनिया भारत के साथ मिलकर काम नहीं करेगी, तब तक इस्लामाबाद नई दिल्ली के साथ खेल खेलना जारी रखेगा।
भाषा की खबर के अनुसार, थिंक टैंक हडसन इंस्टीट्यूट में ‘इनिशियेटिव ऑन द फ्यूचर ऑफ इंडिया एंड साउथ एशिया’ की निदेशक अपर्णा पांडे ने कहा, ‘अकेला भारत पाकिस्तान के बर्ताव में बदलाव नहीं ला सकता। पाकिस्तान की स्वयं को दुनिया के लिए अपरिहार्य समझने की प्रवृत्ति है: वह समझता है कि वह इतना महत्वपूर्ण है कि उसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।’
उन्होंने कहा, ‘इसलिए जब तक शेष दुनिया भारत के साथ मिलकर काम नहीं करती, पाकिस्तान भारत के साथ खेल खेलना जारी रखेगा। वह इस संभावना के भरोसे यह काम करता रहेगा कि उसके इन खेलों में अन्य उसके पीछे खड़े रहेंगे।’
यहां एक पैनल चर्चा में अन्य विशेषज्ञों ने भारत से अपील की कि वह ऐसी नीतियों के साथ आगे आएं जिनसे पाकिस्तान संबंधी चिंताओं से निपटा जा सके। इसके जवाब में अपर्णा ने तर्क दिया कि भारत द्वारा नीतियां बनाए जाने के बावजूद, पाकिस्तान ने अपने पक्ष में भुनाने के लिए नई दिल्ली को लेकर जो काल्पनिक हौव्वा खड़ा कर रखा है, वह खत्म नहीं होगा।
अपर्णा ने कहा, ‘अपनी राष्ट्रीय पहचान बनाए रखने के लिए पाकिस्तान के लिए जरूरी है कि वह भारत को डराए- धमकाए और फिर भारत से डरे। इसके कारण सामान्य नीतियों पर प्रतिक्रिया निष्प्रभावी हो जाती है।’ उन्होंने कहा कि सेना के संस्थागत हितों के लिए यह आवश्यक है कि पाकिस्तान आतंकवाद एवं परमाणु हथियारों के जरिए अंतरराष्ट्रीय ध्यान आकर्षित करता रहे।
































































