नई दिल्ली। रूस के एक वरिष्ठ राजनयिक ने शुक्रवार(16 सितंबर) को कहा कि भारत को रूस-पाकिस्तान के आगामी संयुक्त सैन्य अभ्यास को लेकर चिंतित होने की जरूरत नहीं है, क्योंकि ये अभ्यास विवादित क्षेत्रों में नहीं होंगे।
रूसी मंत्रालय के एशियाई मामलों से संबंधित विभाग के निदेशक जमीर काबुलोव ने कहा कि रूस को लगता है कि भारत को रूस-पाकिस्तान के आगामी संयुक्त सैन्य अभ्यास को लेकर चिंतित नहीं होना चाहिए।
इस अभ्यास को ‘फ्रेंडशिप 2016’ करार दिया गया है। ये सामरिक अभ्यास 24 सितंबर से सात अक्तूबर के बीच उत्तरी पाकिस्तान के रत्तू में स्थित आर्मी हाई ऐल्टिट्यूड स्कूल और चेरात इलाके में स्थित विशेष बल प्रशिक्षण केंद्र में किए जाएंगे।
संयुक्त अभ्यास का उद्देश्य शीत युद्ध के समय के दो विरोधी देशों की सशस्त्र सेनाओं के बीच सहयोग को मजबूत करना एवं बढ़ावा देना है।
रूस की सरकारी समाचार एजेंसी स्पुतनिक की खबर के अनुसार काबुलोव ने कहा कि ‘‘हमें रूसी रक्षा मंत्रालय ने बताया कि ये अभ्यास (विवादित) क्षेत्रों में नहीं किए जाएंगे और ऐसी जगह चुनी गयी है जिसका इससे कोई लेना देना नहीं है। इसलिए भारत के लिए चिंता करने की कोई वजह नहीं है।’’
उन्होंने कहा कि रूस ने भारत सरकार को उन क्षेत्रों की जानकारी दी है जहां संयुक्त अभ्यास किए जाएंगे। दोनों देशों के करीब 200 सैन्यकर्मी संयुक्त सैन्य अभ्यास में हिस्सा लेंगे। रूस और पाकिस्तान का आगामी सैन्य अभ्यास दोनों देशों के बढ़ते सैन्य संबंधों के बीच हो रहा है। पाकिस्तान रूस से अत्याधुनिक लड़ाकू विमान खरीदने पर भी विचार कर रहा है।
संयुक्त अभ्यास को दोनों देशों के बढ़ते सैन्य सहयोग की दिशा में उठाए जा रहे एक और कदम के तौर पर देखा जा रहा है, जिससे दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों में तेज विकास होने का संकेत मिलता है जो दशकों से शीत युद्ध की दुश्मनी से प्रभावित था।
पाकिस्तान अमेरिका के साथ अपने संबंधों में किसी भी तरह के गतिरोध आने की स्थिति में अपने विकल्प बढ़ाने की खातिर रूस से अपने संबंध सुधारना चाहता है।