पिछले हफ्ते बच्ची के माता-पिता ने कथित तौर पर अदालत में एक बयान दाखिल किया था जिसमें कहा गया था कि मीडिया में बताए जा रहे सभी आरोप निराधार हैं और जज के परिवार के साथ वो एक समझौते पर पहुंच गए हैं। डॉक्टर तारिक इक़बाल ने कहा कि चोट कैसे लगी इसे लेकर लड़की अपने बयान बदलती रही है। उन्होंने कहा, “वो अभी बच्ची है और हमारा काम मामले की तह तक जाना है।” पुलिस के मुताबिक पीड़ित बच्ची पंजाब सूबे के फ़ैसलाबाद इलाके के एक गांव से है।
मानवाधिकार समूहों का कहना है कि पाकिस्तान के श्रम कानून में बच्चों के साथ हुई प्रताड़ना की अनदेखी की गई है जबकि ऐसे छोटे बच्चे सड़कों पर और मध्यवर्गीय घरों में काम करते हुए देखे जा सकते हैं। आंकड़ों के मुताबिक पाकिस्तान में क़रीब सवा करोड़ बाल श्रमिक हैं जिनमें से कइयों को असुरक्षित और कठिन परिस्थितियों में काम करना पड़ रहा है।