किशनगंगा विवाद: पाकिस्तान ने अदालत से की मध्यस्थता मांग की

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सूत्र के अनुसार, ‘हमारा पुरजोर विश्वास है कि हमारी डिजाइन संधि में निर्धारित मानदंडों के अनुरूप है। लेकिन वे उलटा सोचते हैं। उन्हें लगता है कि परियोजना की भारत की डिजाइन पाकिस्तान को नदी के प्रवाह को प्रभावित करेगी।’ पाकिस्तान ने पहले भी परियोजना से जुड़े विषय को उठाया था और 2010 में अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता अदालत का रुख किया था, जिसमें झेलम नदी घाटी में बिजली संयंत्र के लिए किशनगंगा नदी का पानी लिया जाएगा। उसने दावा किया था कि परियोजना किशनगंगा नदी के प्रवाह को प्रभावित करेगी जिसे पड़ोसी देश में नीलम के नाम से जाना जाता है। हालांकि 2013 में मामले का निर्णय भारत के पक्ष में लिया गया था।

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सूत्रों के मुताबिक इस्लामाबाद की नए सिरे से आपत्तियों के बावजूद भारत बिजली परियोजना पर अपना काम जारी रख सकता है जिसमें 360 मेगावाट बिजली का उत्पादन होने का अनुमान है। सूत्र ने कहा, ‘आम धारणा के विपरीत संधि में कहीं भी यह नहीं लिखा कि जब विवाद का समाधान निकाला जा रहा हो, उस दौरान काम को रोकना होगा। काम जारी रह सकता है।’ हालांकि सूत्रों ने दावा किया कि वाशिंगटन की बैठक का नियंत्रण रेखा पर मौजूदा तनाव की स्थिति से कोई लेना-देना नहीं था और यह उरी आतंकी हमले तथा पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में आतंकी ठिकानों पर भारतीय सेना के लक्षित हमलों से काफी पहले से निर्धारित थी।

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