बचपन से माता-पिता लड़कों को सिखाएं कि महिलाओं का सम्मान करना चाहिए। आईपीएस ऑफिसर छाया शर्मा के मुताबिक, ये वारदात वही करते हैं, जिनके पास साइको-सोशल सपोर्ट नहीं होता। उनके पास स्ट्रेस रिलीव करने के साधन नहीं होते। उनके दोस्त उन्हें समझाने के बजाय उकसा देते हैं।
ऐसे युवकों को गिरफ्तार करने वाले लोअर रैंक के पुलिसकर्मी इनके बारे में कई अहम बातें बता रहे हैं। इन पुलिस वालों के मुताबिक, इन नौजवानों की हालत पूरी तरह फिदायीन आतंकवादी जैसी होती है। मंगलवार को बुराड़ी में करुणा का मर्डर करते हुए सुरेंद्र ने 18 सेकंड में उन्हें 20 बार चाकू मार दिया था।
इन नौजवानों का मानना होता है कि यह लड़की अगर मेरी नहीं हो सकती तो किसी और की भी नहीं हो सकती। यह पुरुष-प्रधान मानसिकता है। देश में ऐसे अपराधों के लिए कानून तो हैं, लेकिन सबसे जरूरी है परिवार से लड़कों को मिलने वाले संस्कार। क्योकि जो भी हम अपने परिवार में सीखते हैं वैसे ही काम करते हैं।
यह कोई नया मामला नहीं हैं जिसमें लड़की बनी सिरफिरे का शिकार इससे पहले भी कई मामले सामने आए हैं। दिल्ली में एकतरफा प्यार में एक सिरफिरे आशिक ने 15 साल की लड़की पर फे़का तेजाब देखे यह वीडियो।