पाकिस्तान में अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय से जुड़े बहुप्रतीक्षित विवाह कानून को राष्ट्रपति ममनून हुसैन ने मंजूरी दे दी है। इसके बाद यह विधेयक अब कानून बन गया है। इसके बाद अब वहां रहने वाले अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय को विवाह के बाद कानूनी मान्यता मिल सकेगी। राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद पीएमओ से जारी एक बयान में इसकी पुष्टि करते हुए कहा गया है कि पीएम की सलाह पर पाकिस्तान के राष्ट्रपति ने ‘हिंदू विवाह विधेयक 2017’ को मंज़ूरी दे दी है।
इस कानून का मकसद हिंदुओं की शादियों, उनके परिवारों, मांओं और बच्चों के हकों की हिफाजत करना है। बयान में यह भी कहा गया, “यह कानून पाकिस्तान में रह रहे हिंदूओं की शादियों की रस्मों-रिवाजों को पूरा करने में मददगार होगा।”
उधर, पीएम नवाज शरीफ ने कहा कि उनकी सरकार ने हमेशा ध्यान रखा है कि पाकिस्तान में रहने वाली मायनॉरिटी कम्युनिटीज को बराबरी का हक मिले। शरीफ ने कहा, “वो (मायनॉरिटी कम्युनिटी) उतनी ही देशभक्त हैं, जितनी दूसरी कम्युनिटी है। ऐसे में देश की जिम्मेदारी बनती है कि उन्हें बराबरी के हक दिए जाएं।”
इससे पहले 9 मार्च को इसे संसद से मंजूरी मिली थी। कानून को पारित होने से पहले लंबी प्रक्रिया से गुजरना पड़ा है। नेशनल असेंबली में दूसरी बार यह विधेयक पारित हुआ था। इससे पहले पिछले साल सितंबर में संसद ने इस कानून को पारित कर दिया था। लेकिन बाद में सीनेट ने इसमें कुछ बदलाव कर दिए थे।
नियमों के मुताबिक, कोई भी विधेयक तभी राष्ट्रपति के पास मंजूरी के लिए भेजा जाता है, जब दोनों सदनों से समान प्रति को ही पारित किया गया हो। दोनों सदनों से विधेयक के अंतिम स्वरूप को मंजूरी मिल गई जिसके बाद इसे राष्ट्रपति के पास भेजा गया। कानून बनने के बाद यह तीन प्रांतों पंजाब, बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा में लागू होगा।
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