अमेरिका सहित कई देशों ने आरोप लगाया है कि सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद ने अपने ही मासूम नागरिकों पर यह रसायनिक हमला कराया। अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) एचआर मैकमास्टर के मुताबिक, इन तस्वीरों को देखने के बाद ट्रंप का सबसे पहला सवाल यही था कि इसके लिए कौन जिम्मेदार है। ट्रंप के अधिकारियों ने जब उन्हें इस बारे में ब्रीफिंग दी, तो तुरंत ही उन्होंने अपनी टीम से कहा कि वह इसकी प्रतिक्रिया के विकल्पों पर सुझाव दें। इन तस्वीरों का ट्रंप पर कितना गहरा असर पड़ा, इसे समझाने के लिए हम आपको एक और जरूरी घटनाक्रम की जानकारी देते हैं। 2013 में जब असद ने दमिश्क के बाहरी हिस्से में रसायनिक हमला किया था, तब अमेरिका लगभग सैन्य कार्रवाई करने की तैयारी कर ही ली थी। उस समय ट्रंप ने ओबामा से अपील की थी कि वह सीरिया में सैन्य दखलंदाजी न दें। यहां तक कि जब ट्रंप ‘अमेरिका फर्स्ट’ की बात करते हैं, तब भी वह मानवीय नजरिये की बात नहीं करते। लगता है लाश बन चुके मासूमों की तस्वीरों ने ट्रंप को भी द्रवित कर दिया।
राष्ट्रपति के सहयोगियों का कहना है कि मंगलवार को अपनी व्यस्त दिनचर्या के बावजूद ये तस्वीरें जैसे पूरे वक्त ही ट्रंप पर हावी रहीं। बच्चों की तस्वीरें देखकर ट्रंप परेशान हो गए। कुछ बच्चों तो उनके अपने पोते-पोतियों की उम्र के थे। जॉर्डन के सुल्तान किंग अब्दुल्ला से मुलाकात के दौरान भी ट्रंप उदास नजर आए। उन्होंने कहा, ‘जहरीले गैस से मारे गए इन मासूम बच्चों की तस्वीर देखकर मैं खौफ में हूं। इसे देखने के बाद मैं सीरिया को लेकर अपनी रणनीति बदलने की सोच रहा हूं। सीरिया और असद को लेकर मेरा नजरिया काफी बदल गया है। इस हमले को अंजाम देकर उन्होंने सीमा पार कर दी।’ ट्रंप ने कहा, ‘अब मुझपर एक जिम्मेदारी आ गई है। मैं इस जिम्मेदारी को बहुत गंभीरता से निभाऊंगा।’ राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की एक अहम बैठक के दौरान कई विकल्पों पर चर्चा करने के बाद तय किया गया कि असद को चेतावनी देने के लिए टॉमहॉक मिसाइलों का इस्तेमाल कर सीरियन सेना के एयरबेस पर हमला किया जाएगा। जानकारी के मुताबिक, पेंटागन ने ही ट्रंप को यह सलाह दी थी।