नई दिल्ली। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने बुधवार(2 नवंबर) को कहा कि नेपाल संविधान निर्माण में भारत के अनुभव को देख सकता है, लेकिन इससे कोई पाठ लिए जाने का फैसला नेपाल पर निर्भर करता है।
विदेश सचिव एस जयशंकर ने बताया कि नेपाल की तीन दिन की यात्रा पर पहुंचे प्रणब ने अपनी नेपाली समकक्ष बिद्या देवी भंडारी से कहा कि नेपाल संविधान निर्माण में भारत के अनुभव को देख सकता है, लेकिन इससे कोई पाठ लिए जाने का फैसला नेपाल पर निर्भर करता है।
प्रणब की यह यात्रा किसी भारतीय राष्ट्रपति की 18 साल बाद पहली नेपाल यात्रा है। जयशंकर ने संवाददाताओं को बताया कि प्रणब ने इस बात की भी तारीफ की कि नेपाल में संविधान संशोधन प्रक्रिया में प्रगति हुई है। इस बात की पुष्टि करते हुए कि प्रणब और बिद्या के बीच नेपाली संविधान के मुद्दे पर चर्चा हुई।
जयशंकर ने कहा कि ‘‘राष्ट्रपति ने इन बैठकों में भारत का अनुभव देखने की आवश्यकता के बारे में बात की। भारत का अनुभव संविधान निर्माण के प्रति समावेशी रवैया अपनाने तथा इसमें आबादी के सभी तबकों को शामिल करने का था और वह सावधानी के साथ की जाने वाली प्रक्रिया है।’’ ‘‘इसमें काफी प्रयास लगता है, काफी चर्चा होती है, काफी विमर्श होता है।’’
उन्होंने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की नेपाली नेताओं से बैठकों का हवाला देते हुए कहा कि ‘‘एक पड़ोसी के रूप में, एक शुभचिंतक के रूप में, एक अद्वितीय साझेदार के रूप में हम जो कह रहे हैं, वह यह है कि यह हमारा अनुभव है, कृपया इसे देखिए और यदि आपको लगता है कि वहां से कुछ पाठ लिए जाएं तो नेपाली पक्ष को इसे प्रदर्शित करने की आवश्यकता है।’’
इससे पूर्व जाने माने मधेसी नेता महेंद्र प्रसाद यादव ने कहा कि समुदाय को उम्मीद है कि भारत 2008 में समुदाय तथा नेपाल सरकार के बीच हुए समझौते को क्रियान्वित कराने में मदद करेगा।