गिलगित के एक स्थानीय वाशिंदे ने बताया, ‘अगर प्रशासन तालिबानी आतंकी शिविरों का खात्मा नहीं करता है, तो हम खुद कार्रवाई करेंगे।’ इस निवासी के मुताबिक, दायमर, गिलगित, बासीन और कई अन्य इलाके ऐसे हैं, जहां आतंकी शिविरों की मौजूदगी के कारण आम लोगों के जाने पर मनाही है।
Residents of Muzaffarabad, Kotli, Chinari, Mirpur, Gilgit, Diamer & Neelum Valley (PoK) say life made a living hell by terror training camps pic.twitter.com/1vHPxo5vnI
— ANI (@ANI_news) October 6, 2016
PoK के मुजफ्फराबाद में एक स्थानीय नेता ने कहा, ‘प्रतिबंधित संगठनों और आतंकी शिविरों को यहां खाना और राशन मुहैया कराया जाता है। हम इसकी निंदा करते हैं।’ वहीं कोटली में रहने वाले एक शख्स ने कहा, ‘आतंकवाद को खत्म किए जाने की जरूरत है। आतंकवादियों को पनाह दिए जाने से समस्या नहीं सुलझेगी।’ मालूम हो कि पाकिस्तान बार-बार आतंकवादियों को पनाह देने और भारत-विरोधी गतिविधियों के लिए अपनी जमीन का इस्तेमाल किए जाने के आरोपों से इनकार करता रहा है।
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