प्रोटोकॉल के चक्कर में तिरंगे की अनदेखी, जानिए क्यों मोदी के पीछे रखा गया अमेरिकी झंडा ?

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मोदी

लाओस में जब भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने मंच साझा किया, तो इस दौरान एक ऐसी घटना घटी जिसने हर भारतीय को सोचने पर मजबूर कर दिया। जी हां लाओस में भी बराक ओबामा और नरेन्द्र मोदी की मुताकात से ज्यादा चर्चा इन दोनों नेताओं के बैठने की अंदाज पर हुई। यहां दोनों देशों के प्रतिनिधी कुछ इस तरह मिले की अमेरिकी राष्ट्रपति की आड़ में हमारे देश का झंड़े छिपा दिया गया।

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जनसत्ता की खबर के मुताबिक दरअसल, वहां पर पीएम मोदी अमेरिका के झंडे के आगे बैठे थे और बराक ओबामा तिरंगे के आगे। इसको लोगों ने फटाफट नोटिस कर लिया। सोशल मीडिया पर भी इस बात का जिक्र होने लगा। लोगों को समझ नहीं आ रहा था कि दोनों बड़े नेता अपने-अपने देश के झंडे की जगह एक-दूसरे के देश के झंडे के आगे क्यों बैठे हैं। लेकिन बाद में असल बात का पता लगा। भारत के प्रोटोकोल के हिसाब से तो भारतीय नेताओं को अपने देश के झंडे के आगे बैठना होता है लेकिन अमेरिका के प्रोटोकॉल के हिसाब से लीडर को दूसरे देश के झंडे के साथ बैठना होता है। मीटिंग में अमेरिका का प्रोटोकॉल फॉलो किया गया था।

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दोनों नेता 11वें ईस्ट एशिया समिट के दौरान मिले थे। पीएम मोदी लाओस 4वें इंडिया-आसियान समिट और 11वें ईस्ट एशिया समिट में हिस्सा लेने के लिए गए थे। इंडिया-आसियान समिट में इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपींस, सिंगापुर, ब्रुनेई, कंबोडिया, लाओस, म्यांमार, वियतनाम और थाईलैंड भी शामिल हुए थे। मोदी इससे पहले जी-20 समिट के लिए हांगझोऊ में थे। मोदी वहां जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे के भी मिले। विदेश मंत्रालय प्रवक्ता विकास स्वरूप ने ट्वीट करके मोदी के लाओस पहुंचने की फोटो ट्वीट की थी।

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