तो क्या सीरिया ने ब्रिटेन की मदद से बनाए रसायनिक हथियार ?

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सीरिया
प्रतीकात्मक तस्वीर, साभार
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लंदन : मंगलवार को सीरिया के इदलिब प्रांत में जो रसायनिक हमला हुआ, उसमें सरिन नर्व एजेंट का इस्तेमाल किया गया था। इस हमले में 100 के करीब लोग मारे गए और सैकड़ों घायल हुए। नर्व एजेंट को दुनिया का सबसे ज्यादा खतरनाक जहर माना जाता है। अब इस पूरी घटना के साथ ब्रिटेन का नाम जुड़ रहा है। कहा जा रहा है कि ब्रिटेन की ही मदद से राष्ट्रपति बशर अल असद की सरकार ने रसायनिक हथियार बनाए। जुलाई 2014 में ब्रिटेन के तत्कालीन विदेश सचिव विलियम हेग ने ब्रिटिश संसद के सामने पुष्टि की थी कि UK ने सीरिया को घातक रसायनों की खेप भेजी और अनुमान है कि इन केमिकल्स का इस्तेमाल ‘सीरिया द्वारा रसायनिक हथियार विकसित’ करने में किया गया। हेग ने उस समय कहा था, ‘हमारे पास जो जानकारी उपलब्ध है, उसके मुताबिक हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि ब्रिटिश कंपनियों द्वारा सीरिया को निर्यात किए गए इन रसायनों का इस्तेमाल करते हुए सीरिया ने नर्व एजेंट विकसित किया। इन्हीं नर्व एजेंट में सरिन भी शामिल है।’

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‘द गार्डियन’ अखबार में छपी एक खबर के मुताबिक, मानवाधिकार संगठन ब्रिटेन के ही एक कबूलनामे के आधार पर उसकी निंदा कर रहे हैं। कहा जा रहा है कि ब्रिटिश सरकार ने खुद स्वीकार किया था कि 1980 के दौर में ब्रिटेन ने सीरिया की सरकार को रसायनिक हथियार विकसित करने के लिए जरूरी चीजें निर्यात की थीं। हेग द्वारा संसद को दी गई जानकारी के मुताबिक, ब्रिटेन द्वारा 1983 में सीरिया को निर्यात किए गए इन केमिकल्स की खेप में सैकड़ों टन डाइमीथाइल फॉस्फाइट (DMP) शामिल था। इसके बाद 1985 में सीरिया को जो रसायन की खेप भेजी गई, उसमें दोबारा सैकड़ों टन DMP शामिल था। 1986 में भी ब्रिटेन ने सीरिया को रसायनों का निर्यात किया, जिसमें सैकड़ों टन (TMP) शामिल था।

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