भर्ती विवाद: महिला आयोग अध्यक्ष स्वाती मालिवाल पर गंभीर आरोप, पढ़ें पूरा मामला

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16 दिसम्बर की बरसी पर

महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाती मालीवाल आयोग में पदों की भर्ती मामले में एक बार फिर आरोंपों में घिर चुकी हैं। महिला आयोग की पूर्व सांसद बरखा शुक्ला सिंह ने मालिवाल पर आरोप लगाया था कि वो आयोग में आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता और नज़दीकी लोगों की भर्ती कर रही हैं। आयोग ने पदों की भर्ती के मामले में एंटी करप्शन ब्रांच को अपना जवाब देते हुए ये रिपोर्ट सौंप दी है। दिल्ली महिला आयोग ने बरखा के आरोप का खंडन करते हुए एसीबी को बताया है कि बरखा सिंह की शिकायत राजनीति से प्रेरित है और मौजूदा आयोग ने योग्य लोगों को ही भर्ती किया है।

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रिपोर्ट के मुताबिक वर्तमान में आयोग 12 हजार शिकायतों पर काम किया है जबकि बरखा सिंह की अध्यक्षता में सिर्फ 3 हजार 500 शिकायतें ही सुनी गयी थी। फ़िलहाल आयोग पर पिछले कार्यकाल के बकाया 2 हजार 500 मामलों का जिम्मा भी है। स्वाति मालीवाल की अध्यक्षता में आयोग ने 4 नए प्रोग्राम की शुरुवात भी की है। मौजूदा आयोग ने पिछले 1 साल में सरकार को 50 से ज्यादा सुझाव दिए हैं जबकि पिछले आयोग ने 8 साल में महज 1 ही सुझाव दिया था।

मौजूदा आयोग ने कॉन्ट्रेक्ट के आधार पर 90 भर्तियां की जिनमें से 75 आयोग के साथ काम कर रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक बरखा शुक्ला सिंह ने कॉन्ट्रेक्ट के आधार पर 49 भर्तियां की थी, जिनमे आईएएस और आईपीएस अधिकारियों की पत्नियों की भर्ती बिना विज्ञपान दिए की गयी।
मौजूदा आयोग ने हेल्पडेस्क भी तैयार किया है जो 72 घण्टे के भीतर किसी भी शिकायत पर कार्रवाई करता है।
रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली महिला आयोग में मौजूदा स्टाफ की संख्या 121 है जोकि पिछले कार्यकाल में 45 थी।
मौजूदा आयोग ने 181 हेल्पलाइन के लिए 3 शिफ्ट में 16 लोगों को भर्ती की है।
इसके अलावा आयोग महिला एवं बाल विकास विभाग से बातचीत कर रहा है ताकि आयोग में सामान्य तरीके से भर्ती की जा सके।

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आपको बता दें कि इसी महीने रक्षा बंधन के दिन एसीबी ने दिल्ली महिला आयोग के दफ़्तर में छापा मारा था। इससे पहले भी बरखा सिंह ने स्वाति मालीवाल पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा था कि 85 लोगों की नियुक्ति की गई, जिसमें एक आम आदमी पार्टी से जुड़े सुप्रीम कोर्ट के वकील की बेटी को भी नौकरी दी गई। 85 लोगों को दी जाने वाली नौकरी में 10 हजार से लेकर 1 लाख रुपये तक की तनख्वाह दी गई, जिसमें योग्यता का कोई पैमाना नहीं रखा गया।

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