कावेरी विवाद: किसानों के भारी विरोध के बीच तमिलनाडु को पानी देगा कर्नाटक

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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का अनुपालन करते हुए कर्नाटक सरकार ने ‘‘गंभीर कठिनाइयों’’ के बावजूद मंगलवार(सितंबर) को तमिलनाडु को कावेरी का पानी छोड़ने का निर्णय किया। हालांकि तमिलनाडु के लिए कावेरी का पानी छोड़ने के सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद कर्नाटक में आंदोलन तेज हो गया और राज्य के किसानों और कन्नड समर्थक संगठनों ने मंगलवार को बेंगलुरू-मैसूरू राजमार्ग बंद कर दिया।

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने करीब तीन घंटे तक चली सर्वदलीय बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा कि कर्नाटक सरकार के समक्ष पेश आ रही गंभीर कठिनाइयों के बावजूद राज्य सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुरूप पानी छोड़ेगा। उन्होंने यह भी कहा कि राज्य परिवर्तित याचिका के साथ सुप्रीम कोर्ट जाएगा और इस आदेश को लागू करने में पेश आ रही कठिनाइयों को बताएगा और इसमें बदलाव की मांग करेगा। इसके साथ ही कावेरी निगरानी समिति के समक्ष भी जाएगा।

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मुख्यमंत्री ने कहा कि संविधान के तहत प्रतिबद्ध राज्य के लिए सुप्रीम कोर्ट को दरकिनार करना या पानी जारी करने से मना करना कठिन होगा। उन्होंने कहा कि भारी मन के साथ यह निर्णय किया गया है कि तमिलनाडु को पानी दिया जाएगा, जबकि हमारे राज्य को खुद गंभीर कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।

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उन्होंने किसानों से शांति एवं व्यवस्था बनाये रखने और सार्वजनिक सम्पत्ति को कोई नुकसान नहीं पहुंचाने की भी अपील की। इधर, कावेरी राजनीतिक के केन्द्र मांड्या जिले में बंद रखा गया। प्रदर्शनकारियों ने अनेक जगहों पर सड़कें जाम कर दी और धरने दिए। कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए कावेरी क्षेत्र में केन्द्रीय बल समेत सैकड़ों सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गया है।

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दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक को निर्देश दिया है कि तमिलनाडु के किसानों की दिक्कतें दूर करने के लिए वह अगले 10 दिन तमिलनाडु को 15000 क्यूसेक पानी छोड़े। इस निर्देश के बाद कावेरी पर विवाद गरमा गया, जिसके मद्देनजर नौ सितंबर तक कृष्णराजसागर बांध के इर्दगिर्द धारा 144 लगा दी गई और वहां आगंतुकों के प्रवेश पर रोक लगा दी गई। पुलिस ने बताया कि मांड्या में प्रदर्शनकारियों ने अनेक सरकारी दफ्तरों में तोड़फोड़ की और उसे बंद करने के लिए बाध्य कर दिया।