बंदूक की नोक पर आप अपनी मनमर्जी का नहीं ले सकते आदेश: HC

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प्रतिकात्मक फोटो।

नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट ने बुधवार(7 सितंबर) को एक अस्पताल में बेटे के शव के प्रति ‘‘असम्मान’’ दिखाने के लिए दिल्ली सरकार से मिली मुआवजे की राशि बढाकर एक करोड़ रूपये करने की मांग करने वाले याचिकाकर्ता से कहा कि आप हम पर बंदूक रखकर अपनी मनमर्जी का आदेश नहीं ले सकते और ‘हमारे आदेशों को लेकर हमें फांसी पर नहीं लटका सकते।’

न्यायमूर्ति बीडी अहमद और न्यायमूर्ति आशुतोष कुमार की पीठ ने उस याचिकाकर्ता के वकील को आड़े हाथ लिया, जिसके बेटे की आंख और कान का एक हिस्सा शहर के एक अस्पताल में पोस्टमार्टम के लिए रखे गये शव से कथित रूप से गायब पाया गया था।

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अदालत ने कहा कि पत्नी की हत्या के लिए निचली अदालत द्वारा दोषी ठहराए गए व्यक्ति के पिता की ओर से पेश वकील द्वारा उठाया गया मुआवजे का मुद्दा रिट अदालत के क्षेत्राधिकार में नहीं आता और इस संबंध में जनहित याचिका विचारार्थ स्वीकार नहीं की जा सकती।

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अदालत ने कहा कि दोषी के परिजनों को दिल्ली सरकार से दस लाख रूपये का मुआवजा पहले ही मिल चुका है। पीठ ने कहा कि अगर दोषी के पिता को मुआवजे बढ़वाना है तो उसे उचित मंच के सामने गुहार लगानी चाहिए।

इस पर व्यक्ति के पिता की ओर पेश वकील आरपी लूथरा ने कहा कि इस अदालत द्वारा मुआवजे के संबंध में आदेश दिए गए हैं और पीठ को मामला सुनना चाहिए। कडे जवाब में पीठ ने कहा कि ‘‘आप विधि अदालत के सामने हैं और आप हम पर बंदूक नहीं तान सकते और हमें बताइए कि असल में आप क्या चाहते हैं। आप हमें हमारे आदेश को लेकर फांसी पर नहीं लटका सकते।’’

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