नई दिल्ली। तेदेपा प्रमुख एन चंद्रबाबू नायडू से वर्ष 1990 के दशक में संयुक्त मोर्चा सरकार ने प्रधानमंत्री बनने की पेशकश की थी, लेकिन उन्होंने अपने पुत्र की सलाह पर वह प्रस्ताव स्वीकार नहीं किया था।
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने शनिवार(10 सितंबर) को अपनी शादी की 35वीं सालगिरह के मौके पर एक अनौपचारिक बातचीत में संवाददाताओं से कहा कि ‘‘मेरे पुत्र (लोकेश, अब तेलगू देशम के महासचिव) ने मुझसे कहा था कि प्रधानमंत्री का पद अस्थायी है, लेकिन मुख्यमंत्री का पद स्थायी। इसलिए मैंने प्रधानमंत्री का पद स्वीकार नहीं किया था।’’ चंद्रबाबू संयुक्त मोर्चा के संयोजक रहे थे।
1997 में संयुक्त मोर्चा की सरकार केंद्र में सत्ता में थी, तब चंद्रबाबू को मोर्चे के नेताओं ने प्रधानमंत्री बनने के लिए चुना था। चंद्रबाबू को उस समय संयुक्त आंध्र प्रदेश का मुख्यमंत्री बने दो वर्ष ही हुए थे।
यद्यपि लोकसभा में उनकी पार्टी के संख्याबल को देखते हुए उन्होंने संयुक्त मोर्चा बनाने के लिए विभिन्न दलों को साथ लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी थी।