आपदा के 3 साल बाद भी केदारनाथ में मिल रहे नर कंकाल, CM हरीश रावत ने बहुगुणा पर फोड़ा ठीकरा

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हरीश रावत

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत ने केदारनाथ त्रासदी को सवा तीन साल गुजर जाने के बावजूद वहां अभी तक नरकंकाल मिलने की जिम्मेदारी से आज पीछा छुड़ाने की कोशिश करते नज़र आए। उन्होंने इसका दोष तत्कालीन मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा और अपने पूर्ववर्ती पर डालते हुए कहा कि उन्हीं के आदेश से खोज अभियान बंद किया गया था।

इस संबंध में बगैर किसी का नाम लिये सीएम हरीश रावत ने संवाददाताओं से कहा, ‘जो लोग खोज अभियान ठीक तरह से चलाने में राज्य सरकार की विफलता को लेकर जोर-जोर से चिल्ला रहे हैं, उन्हें मेरी बजाय यह सवाल तत्कालीन मुख्यमंत्री से पूछना चाहिये जिन्होंने यह अभियान बंद कराया था । मैंने तो इसे दोबारा शुरू करवाया । ’ आपदा के बाद लापता लोगों को ढ़ूंढ़ने के लिये पहले अभियान की शुरूआत और तत्कालीन मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के कार्यकाल में हुआ था । बहुगुणा अब भाजपा में शामिल हो चुके हैं ।

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हरीश रावत ने कहा कि यह बहुत विचित्र बात है कि इतनी भयंकर आपदा के बाद शवों की खोजबीन का काम इतना शीघ्र और इस संभावना को ध्यान में रखे बिना खत्म कर दिया गया कि बाढ़ में आये लाखों टन मलबे के नीचे नरकंकाल पड़े हो सकते हैं ।

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गौरतलब है कि सरकार की सूची में आज भी हजारों लोग गुमशुदा हैें। जबकि उनके घरवालों का दावा है कि उनकी मौत हो चुकी है। हालांकि कुछ लोगों का ये भी दावा है कि सरकार ने मुआवजा देने से बचने के लिए मृतकों की सूची में गड़बड़ी की है। लोगों की इस बात से भी नाराज़गी है कि सरकार ने आनन-फानन में केदारनाथ में सर्च ऑपरेशन को बंद कर दिया। जबकि सैंकड़ों डेड बाडीज़ मलबे में दबी रह गई।

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