नई दिल्ली। भारत,रूस के साथ मिलकर पांचवी पीढ़ी के फाइटर एयरक्राफ्ट विकसित करेगा। इसके लिए दोनों देश जल्द ही बात करने वाले हैं। साथ ही भारत अपने सुखोई30-MKI को अपग्रेड कर ‘सुपर सुखोई’ बनाएगा। ये सुपर सुखोई बेहतर टेक्नोलॉजी के साथ और ज्यादा वेपन्स ले जाने में कैपेबल होंगे। अफसरों की मानें तो पाक-चीन से निपटने के लिए भारत को 42 स्क्वॉड्रन चाहिए। बता दें कि भारत के पास अभी सिर्फ 33 स्कवॉड्रन हैं। इनमें से 11 स्क्वॉड्रन में MiG-21 और MiG-27 फाइटर हैं। इनमें से ज्यादातर की हालत अच्छी नहीं है। इसके चलते मिग में हादसे होते रहे हैं।
अफसरों की मानें तो चीन-पाकिस्तान की तरफ से बढ़ते खतरे से निपटने के लिए भारत को 42 स्क्वॉड्रन की जरूरत है।
रूस ने फाइटर को लेकर टेक्निकल और कॉस्ट के मसले सुलझा लिए हैं। साथ ही उसने IAF को टेस्ट फ्लाइट की परमीशन दे दी है। भारत-रूस ने इसको लेकर 2007 में पहली बार इंटरगवर्नमेंटल एग्रीमेंट किया था। इसके बाद 2010 में 295 मिलियन डॉलर का प्रिलिमनरी डिजाइन कॉन्ट्रैक्ट साइन किया।
साथ ही दोनों देश प्रोटोटाइप डेवलपमेंट, टेस्टिंग और इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए 8 बिलियन डॉलर खर्च करेंगे। भारत में 127 सिंगल-सीट, स्टील्थ, मल्टीसेंसर फाइटर बनाए जाएंगे। इसके लिए करीब 25 बिलियन डॉलर का खर्च आएगा।