बिहार के आरजेडी के पूर्व विधायक और सीवान के बाहुबली नेता शहाबुद्दीन को देश की सबसे बड़ी अदालत ने तलब करते हुए सवाल पूछा है। शहाबुद्दीन की जमानत याचिका के खिलाफ सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट मे शहाबुद्दीन से पूछा है कि क्यों न तुम्हें सीवान जेल से निकालकर दिल्ली की तिहाड़ जेल में शिफ्ट कर दिया जाए। फिलहाल सीवान की जेल में बंद इस नेता के बारे में कोर्ट ने केंद्र सरकार और बिहार सरकार को भी सूचित किया है।
कोर्ट ने इस संबंध में शहाबु्द्दीन को तिहाड़ जेल में शिफ्ट करने के लिए दोनों से नोटिस के आलोक में जवाब मांगा है। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को शहाबुद्दीन के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई की और नोटिस जारी करते हुए चार सप्ताह के भीतर इसका जवाब देने को कहा है। इस मामले की अगली सुनवाओई 28 नवंबर को होगी। कोर्ट ने यह नोटिस राजदेव रंजन की पत्नी आशा रंजन और चंदा बाबू की याचिका पर दिया है।
पत्रकार राजदेव रंजन की पत्नी आशा रंजन और सीवान के व्यवसायी चंदा बाबू ने शहाबुद्दीन के सीवान जेल में रहने पर जान का भय और केस प्रभावित होने की आशंका जताते हुए उनके स्थानांतरण की मांग की थी।
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट में कहा कि शहाबुद्दीन पर 45 केस के ट्रायल चल रहे हैं और सिवान जेल से उन्हें तिहाड़ जेल ट्रांसफर किया जाए। गौरतलब है कि इससे पहले शहाबुद्दीन के पास से जेल में मोबाइल फोन बरामद हुए हैं और वो नेताओं से मिलते रहते हैं।
याचिका में शहाबुद्दीन के सीवान जेल में रहने के दौरान के घटनाक्रमों का उल्लेख करते हुए कहा गया है था कि शहाबुद्दीन के सीवान में होने से न केवल चंदा बाबू के परिवार को बल्कि विभिन्न मामलों के गवाहों को भी खतरा है। इन तमाम याचिकाओं पर सुनवाई करने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने शहाबुद्दीन को तिहाड़ जेल शिफ्ट करने का नोटिस जारी कर पूछा। कोर्ट के इस नोटिस के बाद आशा रंजन और चंदा बाबू ने राहत की सांस ली है।