सीएलएसए के इंडिया स्ट्रैटेजिस्ट महेश नंदुरकर ने ईटी नाउ को दिए इंटरव्यू में कहा कि इन्वेस्टर्स को कई इवेंट्स पर नजर रखनी चाहिए। इनमें सबसे प्रमुख है अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव। बाजार की सेहत इस पर निर्भर करेगी कि अगले अमेरिकी राष्ट्रपति की ओर से कितनी जल्द स्टिम्युलस यानी राहत पैकेज का ऐलान होता है।हफ्तेभर पहले हिलरी क्लिंटन आगे चल रही थीं। अब डॉनल्ड ट्रंप को बढ़त मिलती दिख रही है। अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव से पहले दुनिया के शेयर बाजारों में उतार-चढ़ाव बढ़ा है। अमेरिका के साथ यूरोप को लेकर भी निवेशकों के मन में आशंका है। ब्रिटेन की तरह इटली के भी यूरोपियन यूनियन में बने रहने या बाहर निकलने को लेकर जनमतसंग्रह की अटकलें लग रही हैं।
हम भारत में कई बार देख चुके हैं कि ओपिनियन पोल से चुनाव के नतीजों का सटीक अंदाजा नहीं लगाया जा सकता। ब्रेग्जिट ओपिनियन पोल में भी हम यह देख चुके हैं। इसलिए अमेरिकी चुनाव को लेकर निवेशकों के मन में आशंका है। जहां तक भारत की बात है, ट्रंप की जीत यहां की आईटी कंपनियों के लिए अच्छी खबर नहीं होगी। भारतीय आईटी सेक्टर पहले से ही अंडरपरफॉर्म कर रहा है। अगर ट्रंप चुनाव जीतते हैं तो आईटी स्टॉक्स पर और दबाव बनेगा। वहीं क्लिंटन के जीतने पर फार्मा कंपनियों पर कुछ नेगेटिव इंपैक्ट हो सकता है। हालांकि, मार्केट चुनाव के बाद के बारे में भी सोच रहा हो। जीत चाहे जिसे मिले, अमेरिका में राहत पैकेज की संभावना की चर्चा होने लगी है। पिछले 8 या 9 साल से अमेरिका में हमने स्टिम्युलस पैकेज देखे हैं। अब शायद ऐसा राहत पैकेज आएगा, जिससे ग्लोबल कमोडिटी मार्केट को फायदा होगा और उससे अमेरिका की जीडीपी ग्रोथ भी बढ़ेगी। इसलिए कई इवेंट्स पर नजर रखने की जरूरत है। इस साल चुनिंदा स्टॉक्स ने बढ़िया रिटर्न दिया है। खासकर केमिकल, टायर, एनबीएफसी स्टॉक्स में भी काफी तेजी आई है।