नई दिल्ली। छत्तीसगढ़ सरकार ने शुक्रवार(11 नवंबर) को सुप्रीम कोर्ट में भरोसा दिलाया कि बस्तर के सामनाथ बघेल की हत्या के मामले में दिल्ली विश्वविद्यालय(डीयू) की प्रोफेसर नंदिनी सुंदर और प्रोफेसर अर्चना प्रसाद समेत चार लोगों को 15 नवंबर तक गिरफ्तार नहीं किया जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट ने प्रोफेसर नंदिनी सुंदर की याचिका पर केंद्र और राज्य सरकार से सीलबंद लिफाफे में दस्तावेज और रिकॉर्ड सौंपने को कहा है। इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने अगली सुनवाई की तारीख 15 नवंबर तय की है।
इस दौरान सरकार का पक्ष रखते हुए असिस्टेंट सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि अगली तारीख तक इनकी गिरफ्तारी नहीं की जाएगी। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट नक्सल समस्या का शांतिपूर्ण हल निकालने के पक्ष में है।
कोर्ट ने कहा कि वह एफआईआर को अगली तारीख तक स्टे कर देंगे, लेकिन एएसजी तुषार मेहता ने कहा कि वे कोर्ट को भरोसा दिलाते हैं कि अगली तारीख तक इन पर कोई कारवाई नहीं करेंगे। कोर्ट इस मामले में सरकार को अहम दस्तावेज और रिकॉर्ड दाखिल करने का वक्त दें।
आपको बता दें कि छत्तीसगढ़ में नक्सल विरोधी टंगिया ग्रुप के लीडर सामनाथ बघेल की हत्या के मामले में सुकमा पुलिस ने दिल्ली विश्वविद्यालय(डीयू) की समाज शास्त्र विभाग की प्रोफेसर नंदिनी सुंदर सहित छह लोगों पर हत्या का मुकदमा दर्ज किया है।