हरे रंग से क्या था जयललिता का नाता? मरने के बाद भी क्यों पहनाई गई हरी साड़ी? यहां पढ़ें

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जयललिता
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जयललिता की जिंदगी और उनकी आदतों के बारे में तो आप सभी जानते होंगे लेकिन आज हम आपको उनकी एक ऐसी आदत से रुबरु कराऐंगे जो शायद ही आपको पता होगी। वैसे तो उनकी कई बातें मशहूर हैं लेकिन वह ज्योतिष विद्या को मानती है इसका पता सिर्फ उनके करीबी लोगों को ही पता था। उनके लिए उनकी हरी साड़ी के प्रति उनका लगाव और अपनी एक खास कुर्सी के प्रति उनका आकर्षण। कहते हैं कि जयललिता बस उसी कुर्सी पर बैठा करती थीं। यहां तक कि जब वह दिल्ली आतीं, तब उनके पीछे उनकी वह कुर्सी भी लाई जाती।

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ये सारी बातें बस उनकी पसंद के साथ नहीं जुड़ी थीं, बल्कि इनके पीछे ज्योतिषीय गणनाओं का भी बहुत बड़ा हाथ था। जयललिता को ज्योतिष विद्या पर बहुत यकीन था। कहते हैं कि जब 1999 में तत्कालीन अटल बिहारी वाजपेयी सरकार से उन्होंने समर्थन वापस लिया, तो उस फैसले के पीछे राजनैतिक मतभेदों के साथ-साथ ज्योतिष गणनाओं का भी बहुत बड़ा हाथ था।

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जानकारों के मुताबिक, समर्थन वापसी की घोषणा से पहले जयललिता ने किसी से भी मिलने से इनकार कर दिया था। उनके ज्योतिषियों ने उन्हें बताया था कि उनकी कुंडली का चंद्रमा आंठवें घर में है और यह उनके लिए अशुभ हो सकता है। ऐसे में जयललिता कई घंटे तक होटल के अपने कमरे में बंद रहीं और किसी से भी नहीं मिलीं। इतना ही नहीं, वाजपेयी सरकार से समर्थन वापस लेते हुए उन्होंने राजनैतिक जोड़-घटाव तो किया ही, साथ ही ज्योतिषियों से भी सलाह ली। माना जाता है कि उनके ज्योतिष ने समर्थन वापसी की घोषणा का समय भी बता दिया था।

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