हरे रंग से क्या था जयललिता का नाता? मरने के बाद भी क्यों पहनाई गई हरी साड़ी? यहां पढ़ें

0
2 of 3
Use your ← → (arrow) keys to browse

 

जयललिता

जयललिता का जन्म बेहद रुढ़िवादी आयंगर परिवार में हुआ था। जयललिता को ज्योतिष विद्या और अंकविद्या पर बहुत भरोसा था। कहते हैं कि बिना ज्योतिषों की सलाह लिए वह ना कोई योजना बनाती थीं और ना ही कोई फैसला लेती थीं। पंचांग से मुहूर्त निकाले बिना शायद ही उन्होंने कोई फैसला लिया हो। ना केवल अपने राजनैतिक फैसलों के लिए, बल्कि प्रशासन से जुड़े निर्णयों पर भी जयललिता ज्योतिषीय गणनाओं का सहारा लिया करती थीं। योजना का क्या नाम होना चाहिए, इसे कब लॉन्च किया जाना चाहिए, जैसे फैसले पंचांग से मुहूर्त निकाले बिना पूरे नहीं होते थे।

इसे भी पढ़िए :  खाट सभा में लुट गये राहुल, पहले लुटी खटिया....अब ठुक गया जुर्माना

उनके बारे में यह किस्सा भी मशहूर है कि एक बार उन्होंने शपथ ग्रहण समारोह रद्द कर दिया था। उन्हें बताया गया था कि जिस समय पर कार्यक्रम तय किया गया है, वह उनके लिए शुभ नहीं है। जयललिता को अंक ज्योतिष पर भी बहुत भरोसा था। साल 2011 में उन्होंने अपने नाम में एक अतिरिक्त A जोड़ा था। कहते हैं कि उन्होंने मन्नत मांगी थी। फिर जब वह चुनाव जीतकर सत्ता में आईं, तो उन्होंने अपने नाम के अंत में एक और A जोड़ लिया। पहले उनके नाम में Jayalalitha 11 अक्षर थे, एक और A जुड़ जाने के बाद 12 अक्षर हो गए।

इसे भी पढ़िए :  पीएम मोदी की अपील- गंदगी के खिलाफ करें 'स्वच्छाग्रह'

अपोलो अस्पताल द्वारा जारी बयान में बताया गया कि जयललिता ने सोमवार रात 11.30 बजे आखिरी सांस ली। उनकी मौत 5 दिसंबर को हुई। अपने जन्म के ग्रहों और कुंडली को ध्यान में रखते हुए वह 5 और 7 को अपना भाग्यशाली अंक मानती थीं। संयोग देखिए कि उनके निधन की तारीख भी 5 ही रही।

इसे भी पढ़िए :  खुलासा : सिमी आतंकियों के निशाने पर थे पीएम मोदी, पढ़िए- क्या था दहशतगर्दों का मास्टर प्लान
2 of 3
Use your ← → (arrow) keys to browse