क्रिसमस मानने के लिए पाकिस्तान की सरकार ने देखिए क्या किया

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क्रिसमस
सभी तस्वीरें बीबीसी से साभार

पाकिस्तानी हुकूमत इस साल क्रिसमस के लिए ख़ास आयोजन किया है – क्रिसमस अमन ट्रेन चलाकर। पाकिस्तान से अल्पसंख्यकों – ईसाईयों, हिंदूओं पर लगातार होने वाली प्रताड़नाओं की ख़बरें आती रहती हैं। लेकिन इस क़दम को पाकिस्तान के अपने इमेज़ सुधारने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है।

पहले से असुरक्षा के माहौल में रहने वाले ईसाई अल्पसंख्यकों के लिए ये पहला मौका है जब उनकी ख़ुशी के लिए हुकूमत ने ऐसा कोई आयोजन किया है।मगर मुल्क के कई हिस्सों में अल्पसंख्यकों को निशाने बनाए जाने की ख़बरें आम हैं। असुरक्षित गैर मुस्लिम समुदाय अपना देश छोड़ने पर मज़बूर हो जाते हैं और जो देश नहीं छोड़ सकते, वह या तो पलायन करते हैं या उन्हें ख़ौफ़ के साये में रहना होता है।

इसी समारोह में जब मंत्री ख़्वाजा साद रफ़ीक पूछा गया कि ट्रेन तो चल पड़ी मगर अल्पसंख्यकों की रक्षा के लिए क्या किया गया है? तो जवाब में कहा, “मुसलमान या ईसाई में कोई भेद नहीं है, देश में तो हर गरीब ही असुरक्षित है।”

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मानव अधिकारों पर काम करने वाली संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल ने कुछ ही दिन पहले पाकिस्तान में ईश निंदा क़ानून और उसके असर के नाम से एक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें कहा गया है कि ये क़ानून मानवाधिकारों का उल्लंघन है।

ह्यूमन राइट्स वॉच की 2016 की विश्व रिपोर्ट के मुताबिक सैकड़ों लोग धर्म के अपमान के आरोप में जेल में बंद हैं। इसी संदर्भ में बात करते हुए ख़्वाजा साद रफ़ीक कहते हैं, “पैगंबर मोहम्मद के अपमान की सजा मौत ही है, लेकिन ये क़ानून दूसरे धर्मों के रहनुमाओं के अपमान पर भी लागू होता है।”

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लेकिन क्रिसमस अमन ट्रेन के उद्घाटन समारोह में आईं सायमा जैसे कई गैर मुस्लिम इलाके में अमन और शांति चाहती हैं। इन लोगों के मुताबिक अगर इस क़ानून को समाप्त ना भी किया जाए तो कम से कम से इसका ग़लत इस्तेमाल पर रोक लगा दी गई है।
(खबर इनपुट बीबीसी हिंदी)

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