सपा में चल रही कलह के कारण ऐसा लगने लगा है,कि साइकल शायद ही किसी की झोली में आएगी। कल हुई केंद्रीय चुनाव आयोग की बैठक में समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव और टीम अखिलेश दोनों ने अपने-अपने दावे मजबूती से पेश किए। दोनों की कोशिश यही रही कि वह साइकल सिंबल पर अपना अधिकार साबित कर सकें। लेकिन आयोग के सूत्रों की मानें तो दोनों ही पक्षों की तरफ से रखे मजबूत तर्क सुलह न होने की स्थिति में ‘साइकल’ फ्रीज होने की संभावना बढ़ा रही है।
टीम अखिलेश की ओर से ‘साइकिल’ सिंबल पर दावा पेश करने के लिए प्रफेसर रामगोपाल, नरेश अग्रवाल, किरनमय नंदा के साथ कांग्रेस के सांसद और वकील कपिल सिब्बल भी मौजूद थे। आयोग के सामने ज्यादातर बातें या तो रामगोपाल ने रखीं या फिर कपिल सिब्बल ने। सूत्रों का कहना है कि तर्क के केंद्र में विधायकों, सांसदों, एमएलसी के साथ प्रतिनिधियों के 4500 हलफनामे रहे। साथ ही रामगोपाल ने विशेष अधिवेशन की सूचना समाजवादी पार्टी की आधिकारिक वेबसाइट पर लगाई गई थी। यह अधिवेशन एक जनवरी को जनेश्वर मिश्र पार्क में बुलाया गया था, जिसमें राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव पहले से तय था। राष्ट्रीय अध्यक्ष के असंवैधानिक फैसलों के खिलाफ इस तरह का अधिवेशन बुलाने का प्रावधान है।
यह तर्क भी रखे गए कि अधिवेशन में जो भी चुनाव हुआ, वह सभी प्रतिनिधियों के समर्थन से हुआ। इसके लिए उन्होंने चुनाव आयोग के सामने अधिवेशन की पूरी वीडियो सीडी और हलफनामा साइन करते हुए एमएलए, एमपी और अन्य प्रतिनिधियों की विडियो रेकॉर्डिंग की सीडी भी पेश की।