तो इस वजह से इंजीनियरिंग छोड़कर आतंकी बना मूसा

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मूसा

श्रीनगर : जाकिर राशिद उर्फ कमांडर मूसा कश्मीर घाटी में इस्लामी जिहाद का चेहरा है जिसने शनिवार को घाटी के अलगाववादियों और आतंकी नेतृत्व से अलग होने का ऐलान कर दिया है। कमांडर मूसा एक मध्यमवर्गीय परिवार का लड़का है और उसकी उम्र महज 23 साल है। आतंक का हाथ थामने से पहले उसने चंडीगढ़ के प्राइवेट इंजिनियरिंग कॉलेज से पढ़ाई की थी लेकिन इंजिनियरिंग की परीक्षा में फेल हो गया था।

पुलिस सूत्रों ने बताया, कश्मीर में उग्रवादियों को स्थानीय लोगों के बीच बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जाता है। हिज्बुल कमांडर बुरहान वानी को बहुत पढ़ा-लिखा बताकर पेश किया जाता था जबकि वह स्कूल ड्रॉप-आउट था। बुरहान की तरह उसका उत्तराधिकारी मूसा भी ड्रॉप-आउट था। उसने चंडीगढ़ के रामदेव जिंदल कॉलेज से बीटेक में ऐडमिशन लिया था लेकिन 2013 के बीटेक एग्जाम्स में वह फेल हो गया था।

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जाकिर राशिद भट्ट का जन्म 25 जुलाई 1994 को अवन्तिपुर के नूरपुर में अब्दुल राशिद भट्ट के घर में हुआ था। मूसा के पिता सिंचाई विभाग में सरकारी कर्मचारी हैं। मूसा के भाई-बहन काफी मेधावी थे और वे अपनी लाइफ में अच्छा कर रहे हैं। मूसा का भाई शकीर श्रीनगर में डॉक्टर है जबकि उसकी बहन जम्मू-कश्मीर बैंक में कार्यरत है।

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मूसा को पुलवामा में जवाहर नवोदय विद्यालय में ऐडमिशन मिल गया था लेकिन उसने अपने गांव के नूर पब्लिक स्कूल में ही पढ़ाई जारी रखी और 10वीं परीक्षा में 65.4 प्रतिशत अंक प्राप्त किए। उसके बाद वह नूरपुर के उच्चतर माध्यमिक स्कूल में प्रवेश लिया और 12वीं की परीक्षा 64.8 प्रतिशत अंकों के साथ पास की।

कॉलेज छोड़ने के बाद मूसा ने 2013 में बैन हिज्बुल मुजाहिदीन आतंकी संगठन को जॉइन कर लिया। बुरहान वानी और इदरीस की सुरक्षा बलों द्वारा मार गिराए जाने के बाद मूसा को कमांडर बना दिया गया। ग्रेनेड हमले और हत्याओं के कई मामले मूसा के खिलाफ दर्ज है।

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पुलिस ने बताया कि शनिवार को मूसा के संगठन छोड़ने के ऐलान से पता चलता है कि उसे और उसके समूह को हिज्बुल मुजाहिदीन की मदद की जरूरत नहीं थी, वे सुरक्षा बलों से हथियार चुरा रहे थे औऱ बैंकों से पैसा लूट रहे थे, वह खुद अपना संगठन चला सकते हैं।