नई दिल्ली। सरकार ने खुद का लाभ बढ़ाने के लिए गरीबों की ‘मिठास’ छीनने की योजना बना रही है। त्योहारी सीजन ही नहीं अब आम दिनों में भी गरीब को एक प्याला चाय बनाने के लिए सोचना होगा। जी हां, वित्त मंत्री अरुण जेटली एक फरवरी को पेश होने वाले केंद्रीय बजट में चीनी पर राज्यों को दी जाने वाली 18.50 रुपये प्रति किलो सब्सिडी खत्म कर सकते हैं।
सरकार के इस फैसले से करीब 4,500 करोड़ रुपए की सब्सिडी बचेगी, लेकिन सब्सिडी खत्म होने से गरीबों के लिए चीनी महंगी हो जाएगी। सूत्रों के अनुसार केंद्र सरकार का मानना है कि नए खाद्य सुरक्षा कानून में गरीबी रेखा से नीचे यानी बीपीएल परिवारों के लिए कोई सीमा निर्धारित नहीं है।
इस बात की संभावना काफी ज्यादा है कि राज्य सरकारें रियायती चीनी दूसरे लोगों को भी दे रही हैं। वर्तमान में योजना के तहत 40 करोड़ बीपीएल परिवारों का लक्ष्य रखा गया है। सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के तहत सालाना 27 लाख टन चीनी की जरूरत होती है।
मौजूदा योजना के मुताबिक राज्य सरकारें राशन की दुकानों से चीनी की सरकार नियंत्रित मूल्य पर आपूर्ति करने के लिए खुले बाजार से थोक भाव पर चीनी खरीदतीं हैं और फिर इसे 13.50 रुपए किलो के सस्ते भाव पर बेचतीं हैं।
दूसरी तरफ राज्यों को इसके लिए केंद्र सरकार से 18.50 रुपए प्रति किलो के भाव पर सब्सिडी दी जाती है।
सूत्रों के अनुसार वित्त मंत्रालय से ऐसे संकेत हैं कि चीनी की मौजूदा सब्सिडी योजना को अगले वित्त वर्ष से बंद किया जा सकता है। जिसके बाद राशन दुकानों के जरिए चीनी बेचने की पूरी लागत राज्यों को स्वयं उठानी पड़ सकती है।