मुंबई: भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने अपने आलोचकों को उन्ही के अंदाज में जवाब देते हुए पूछा है कि वे बताएं कि आखिर मुद्रास्फीति कम कैसे है? राजन ने कहा कि ‘आर्थिक विकास’ पर ‘महंगाई पर नियंत्रण’ को तवज़्ज़ो देने वाले पहले यह बताएं कि क्या महंगाई दर बहुत कम है? उन्होने ऐसी आलोचनाओं को महज डायलॉगबाजी करार देते हुए सिरे से खारिज कर दिया।आरबीआई गवर्नर ने कहा कि वो ऐसी डायलॉगबाजी पर ध्यान नहीं देते क्योंकि ऐसी बातों का कोई आर्थिक आधार नहीं है ।
बैंकों की उन्हें सीबीआई, सीवीसी जैसी एजेंसियों की निगरानी से छूट दिये जाने की मांग के बीच रिजर्व बैंक गवर्नर रघुराम राजन ने कहा कि पूरी तरह आंख मूंदकर तो राहत नहीं दी जा सकती लेकिन यदि यह महसूस किया गया कि कर्ज देने का निर्णय उचित जांच पड़ताल के बाद किया गया है तो ऐसे मामले में जरूर संरक्षण दिया जाएगा।
राजन ने यहां चुनींदा संवाददाताओं के समूह से बातचीत में कहा, मेरा मानना है कि बैंक अधिकारियों ने इस बारे में अपनी चिंता जताई है कि पूरी निष्ठा के साथ जो काम किया गया ऐसे मामलों में उन्हें कारवाई के लिये जिम्मेदार नहीं ठहराया जाना चाहिये।
उन्होंने कहा, मैं समझता हूं कि हर किसी को उस जरूरत को समझना चाहिये जहां उन्होंने उचित जांच पड़ताल, स्थिति के अनुसार दिमाग का सही इस्तेमाल करते हुये कदम उठाया है। उन्हें कदम उठाने की कुछ आजादी दी जानी चाहिये, क्योंकि इसके बिना हम बैंकों के खातों को साफ सुथरा नहीं कर पायेंगे। हम उन परियोजनाओं को फिर से पटरी पर नहीं ला पायेंगे जिनकी अर्थव्यवस्था को जरूरत है।
रिजर्व बैंक के गवर्नर ने कहा कि उनका अपने कार्यकाल पर कोई किताब लिखने का इरादा नहीं है, और अगले दस साल तक वो एकेडमिक किताबे लिखने पर दी ध्यान देंगे