यूपी विधानसभ चुनावों के दौरान बीजेपी ने अपने घोषणा पत्र में जो वादे किए थे उनमें किसानों के लिए कर्ज माफी का भी एक बड़ा वादा था। सवाल ये है कि अब सत्ता में आई बीजेपी क्या अपना वादा निभाएगी। क्या वाकई सूबे के किसानों का कर्ज माफ किया जाएगा। अगर वाकई सरकार ऐसा करती है तो सरकार के इस कदम से बैंकों को बड़ा चूना लग सकता है। जी हां ये बात हम यूं ही नहीं कह रहे बल्कि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार यूपी में किसानों की कर्ज माफी से बैंकों को 27,420 करोड़ का नुकसान हो सकता है।
यूपी में सत्ता में आई बीजेपी चुनावी वादे के तहत यदि छोटे और सीमांत किसानों के कर्ज माफ करती है तो इससे कर्जदाता बैंकों को 27,420 करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है। साथ ही इससे राज्य के राजकोषीय गणित पर भी कुछ असर पड़ सकता है।
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश की 403 सीटों में से 325 सीटें जीत कर सरकार बनाने में सफल रहने वाली भाजपा ने चुनाव घोषणा पत्र में किसानों का कर्ज माफ करने का वादा किया था।
भारतीय स्टेट बैंक की एक शोध रिपोर्ट में कहा गया है कि 2016 के आंकड़ों के मुताबिक अधिसूचित वाणिज्यिक बैंकों का यूपी में 86,241.20 करोड़ रुपये का किसान कर्ज बकाया है। इसमें प्रत्येक कर्ज औसतन 1.34 लाख रुपये का बनता है।
रिपोर्ट में भारतीय रिजर्व बैंक के वर्ष 2012 के आंकड़ों का जिक्र किया गया जिसमें कहा गया है कि कृषि कर्ज का 31 प्रतिशत सीमांत और छोटे किसानों (ढाई एकड़ तक की जमीन वाले) को दिया गया है। अगर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के इस आंकड़ों को उत्तर प्रदेश में भी लागू माना जाए तो वहां छोटे और सीमांत किसानों का कर्ज माफ करने की योजना पर सरकार को 27,419.70 करोड़ रुपये माफ करने होंगे।