लखनऊ : पूरे यूपी में बड़े बूचड़खानों से जुड़े लोगों के बीच दहशत का माहौल है। दरअसल, बीजेपी ने सत्ता में आने पर तमाम बूचड़खानों को बंद करने का वादा किया था। ऐसे तकरीबन दर्जनभर रजिस्टर्ड बूचड़खानों के मालिकों ने बताया कि इस तरह के कदम से यूपी से मीट के एक्सपोर्ट, उनकी रोजी-रोटी और उनके करोड़ों रुपये के निवेश को झटका लगेगा। यूपी में फिलहाल करीब 356 बूचड़खाने हैं जिनमें से सिर्फ 40 ही वैध हैं।
जानकारों के मुताबिक, यूपी में अवैध बूचड़खाने बंद होने से राज्य को सालाना करीब 11 हजार 350 करोड़ रुपए का नुकसान होगा। योगी सरकार बनने के बाद एनजीटी के 2016 के आदेश मुताबिक इलाहाबाद के 2 अवैध बूचड़खानों को सीज किया जा चुका है। हालांकि यूपी सरकार ने आश्वस्त किया है कि केवल अवैध बूचड़खानों को ही बंद किया जाएगा। दो साल पहले एनजीटी भी अवैध बूचड़खानों पर बैन लगा चुका है।
मेरठ में मौजूद एक वैध बूचड़खाने ‘अल फहीम मीटेक्स’ के मोहम्मद इमरान याकूब भी बेहद चिंतित हैं। उनके यहां 1,500 लोग काम करते हैं। याकूब ने ईटी से कहा, ‘चुनाव में पहले विकास की बात कही गई, लेकिन बीजेपी बाद में गोलबंदी की तरफ मुड़ गई और उसने कहा कि वह यूपी के सभी बूचड़खानों को बंद कर देगी। हम सिर्फ इतनी उम्मीद करते हैं कि यह चुनावी बयानबाजी साबित हो। क्या रजिस्टर्ड बूचड़खानों को बंद किया जा सकता है? हमारा काम भैंसों के मीट का है।’
बीजेपी के घोषणा पत्र में साफतौर पर कहा गया था- ‘जिस दिन यूपी में बीजेपी की सरकार बनेगी, उसी रात से राज्य के सभी वैध और अवैध बूचड़खानों को अध्यादेश जारी कर बंद कर दिया जाएगा।’ पार्टी का दावा है कि बड़े पैमाने पर हत्या और स्मगलिंग (जानवरों की) के कारण राज्य में पशुओं की संख्या में भारी गिरावट हुई है। यूपी में तकरीबन 40 कानूनी बूचड़खाने हैं, जिन्हें केंद्र सरकार की अग्रीकल्चरल ऐंड प्रोसेस्ड फूड प्रॉडक्ट्स एक्सपोर्ट डिवेलपमेंट अथॉरिटी (APEDA) से बाकायदा लाइसेंस मिला हुआ है।
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