गाजियाबाद के एक बड़े बूचड़खाने- इंटरनैशनल एग्रो फूड्स प्राइवेट लिमिटेड के मालिक गुलरेज कुरैशी ने बताया, ‘जबरन कुछ नहीं किया जा रहा है। जब पशुओं के मालिक उनका कोई इस्तेमाल नहीं पाते हैं, तो उसके बाद उन्हें यहां लाया जाता। यह कार के कबाड़ी जैसा बनने का मामला है। हमारे पास मॉडर्न प्लांट है, जहां प्रदूषण के खिलाफ अपनाए गए स्टैंडर्ड्स का पालन होता है। इसे रातों-रात कैसे बंद किया जा सकता है? आखिर में हमारे पास सुप्रीम कोर्ट जाने का रास्ता बचा होगा।’
एक और बड़े बूचड़खाने के मालिक ने नाम जाहिर नहीं किए जाने की शर्त पर बताया कि बीजेपी के इस दावे के पीछे प्रमाण नहीं है कि यूपी में पशुओं की संख्या में गिरावट हुई है। उन्होंने कहा, ‘पशुओं से जुड़ी 2012 की गणना के मुताबिक, 2007 के मुकाबले भैंसों की संख्या में 28 फीसदी और गायों की संख्या में 10 फीसदी की बढ़ोतरी हुई थी। 2017 की गणना अभी चल रही है। यूपी भैंसों के मीट के मामले में देश का सबसे बड़ा एक्सपोर्टर है। अगर बीजेपी अपने वादे पर आगे बढ़ती है, तो यूपी में बिजनस सेंटीमेंट का क्या होगा।’
उन्नाव में रुस्तम फूड्स प्राइवेट लिमिटेड चलाने वाले मोहम्मद युनूस ने कहा, ‘हमने मॉडर्न मशीनों में करोड़ों का निवेश किया है। हमारे साथ 800 लोग काम करते हैं। हम कानून का पालन करते हैं। गोहत्या नहीं करते। क्या बीजेपी सरकार हजारों लोगों को बेरोजगार करना चाहती है?’