जॉनसन एंड जॉनसन कम्पनी महिला को देगी 468 करोड़ का हर्जाना

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जॉनसन एंड जॉनसन

दुनिया में बच्चों के पाउडर, क्रीम और तेल बनाने वाली मशहूर कंपनी जॉनसन एंड जॉनसन इस साल लगातार तीसरा मुकदमा हारते हुए,अमेरिकन कोर्ट ने उसे एक महिला को 468 करोड़ रुपए हर्जाना देने का आदेश दिया। महिला का दावा है कि उसे इस कंपनी का प्रोडक्ट इस्तेमाल करने से कैंसर हो गया था। इस अमेरिकी कंपनी पर हर्जाने का यह पहला मामला नहीं है। वह फरवरी में 480 करोड़ और मई में 367 करोड़ के दो केस हार चुकी है।

62 साल की डेबोराह गियानेचिनी ने सेंट लुईस की कोर्ट को बताया, “मैं 40 साल से जॉनसन एंड जॉनसन के दो टैल्कम पाउडर इस्तेमाल कर रही थी। 2012 में मुझे ओवेरियन कैंसर का पता चला। सर्जरी के दौरान डॉक्टरों को ओवरी में इस पाउडर के पार्टिकल्स मिले। जबकि कंपनी इन दोनों पाउडर की मार्केटिंग ‘हाइजीन प्रोडक्ट’ के तौर पर करती है। बता दें कि अमेरिका में कैंसर पीड़ित 4000 महिलाएं जॉनसन एंड जॉनसन कंपनी पर केस दर्ज करा चुकी हैं।देबोराह के वकील जिम ओंडेर ने कहा कि कंपनी के दस्तावेजों से पता चलता है कि उसे 1970 के दशक से यह पता था कि टैल्कम पाउडर से सेहत को नुकसान हो सकता है।

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कंपनी ने प्रोडक्ट पर इसकी वॉर्निंग नहीं दी और यह बात छुपाती रही। ओंडेर ने कहा कि देबोराह ने यह मुकदमा पैसे के लिए नहीं किया है। वह चाहती हैं कि दुनिया को यह पता चले कि उनकी बीमारी की वजह एक प्रोडक्ट है।  बता दें कि अमेरिका में इस साल ओवेरियन कैंसर के 22 हजार मामले सामने आए हैं। जॉनसन एंड जॉनसन की प्रवक्ता कैरोल गुडरिच ने देबोराह के दावे को गलत बताया है। उन्होंने कहा, कि इन पाउडरों पर 30 साल तक रिसर्च किया गया। इनमें ये पाउडर सुरक्षित मिले। हम हर्जाने के फैसले के खिलाफ अपील करेंगे। कंपनी इस साल दो केस हार चुकी है। इनमें भी ऊपर की कोर्ट में अपील की गई है।  जॉनसन एंड जॉनसन के प्रोडक्ट्स 175 देशों में बिकते हैं। रेवेन्यू 4.65 लाख करोड़ रुपए और प्रॉफिट 1.02 लाख करोड़ रुपए है। एक साल में इसके शेयर 14% बढ़े हैं।

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भारत में बेबी पाउडर के बाजार के 50% हिस्से पर इसी कंपनी का कब्जा है।  फोर्ब्स-2015 की लिस्ट में ‘जॉनसन फैमिली’ दुनिया के सबसे अमीर परिवारों की सूची में 46वें नंबर पर थी। जज बिली रे ने कहा कि ऐसा लग रहा है कि कंपनी को ग्राहकों की जरा भी परवाह नहीं है। वह आगे से चेतावनी लेवल के साथ प्रोडक्ट बाजार में लाए, ताकि ग्राहक तय कर सकें कि उसे यह प्रोडक्ट लेना है या नहीं।

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