नोटबंदी से जनता बेहाल लेकिन सरकार की हो गई बल्ले-बल्ले… पढ़िए कैसे ?

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केन्द्र सरकार ने नोटबंदी को लेकर जो फैसला लिया है, उससे बेशक आम आदमी और गरीबों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा हो। लेकिन इस फैसले से सरकार के वारे-न्यारे हो जाएंगे। चारों तरफ से सरकार की आमदनी शुरू हो जाएगी..और तो और जनता के पैसे से सरकार का खजाना भर जाएगा। जी हां ये बात हम यूं ही नहीं कह रहे बल्कि ये दावा है बड़े-बड़े बिजनेस एक्सपर्ट का। नवभारत के इकनॉमिक टाइम्स की खबर के मुताबिक 500 और 1,000 के नोटों को रद्द करने से केंद्र और राज्य सरकारों को बड़ा टैक्स बोनांजा मिल सकता है।

दरअसल, कई लोग अपने सरप्लस कैश को मौजूदा साल के इनकम के तौर पर दिखाकर उसे 30 फीसदी टैक्स दे सकते हैं। राज्य सरकारों के वैल्यू एडेड टैक्स (वैट) में भी बढ़ोतरी हो सकती है, क्योंकि बेकार पड़े कैश को कन्वर्ट करने के लिए अतिरिक्त खरीदारी के कारण सेल्स बढ़ सकती है। लोग टैक्स एक्सपर्ट्स के पास फोन कर यह पूछ रहे हैं कि अपने पास पड़े कैश को कैसे बचाया जाए।

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टैक्स एक्सपर्ट्स का कहना है कि एक तरीका यह हो सकता है कि मौजूदा साल के लिए सेल्स को ज्यादा दिखाकर और अडवांस टैक्स देकर बैंक अकाउंट्स में कैश डिपॉजिट किया जा सकता है। देश में इनकम टैक्स की अधिकतम दर 30 फीसदी है। खेतान ऐंड कंपनी में पार्टनर संजय सांघवी ने बताया, ‘सेक्शन 270ए (आईटी ऐक्ट) को मोटे तौर पर पढ़ने के बाद ऐसा नहीं लगता है कि किसी के बैंक अकाउंट में 10 लाख से ज्यादा के डिपॉजिट पर 200 फीसदी जुर्माना लगाया जा सकता है। इसमें इनकम को गलत या कम बताने पर पेनाल्टी की बात है।

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जहां तक अडवांस टैक्स (दिसंबर 16/मार्च 2017 क्वॉर्टर) देकर बैंक अकाउंट में रकम जमा करने की बात है, तो इस पर कोई पेनल्टी नहीं लगेगी।’ हालांकि, सांघवी ने कहा कि बैंक अकाउंट में जमा किए गए कैश/इनकम को 2016-17 के टैक्स रिटर्न में दिखाना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘अगर बताई गई इनकम और जांच में पाई गई इनकम में कोई अंतर नहीं है, तो पेनल्टी का सवाल नहीं पैदा होता।’ बाकी एक्सपर्ट्स की भी कुछ ऐसी ही राय है।

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कॉर्पोरेट प्रफेशनल्स के राज अग्रवाल और राकेश गुप्ता ने बताया, ‘1-04-2016 से इनकम छुपाने पर पेनल्टी के प्रावधान को सेक्शन 270 से जोड़ा गया है, जिसके मुताबिक पेनल्टी तभी लगेगी, जब एसेस्ड इनकम रिटर्न में बताई इनकम से ज्यादा हो। सेक्शन 270 के तहत किसी खास इनकम को छुपाने या इनकम के बारे में गलत ब्यौरा देने का कोई प्रावधान नहीं है।’

(हेडलाइन छोड़कर ये खबर नवभारत के सौजन्य से प्रकाशित की गई है)