पहला फायदा- आरबीआई के पूर्व गवर्नर सुब्बाराव के अनुसार नोटबंदी बैंकों की ब्याज दर कम हो सकती है। सुब्बाराव के अनुसार आरबीआई द्वारा कोई नई राहत दिए बिना भी इस फैसले की वजह से बैंंकों का कॉस्ट ऑफ फंड कम होगा जिससे वो लोन पर ब्याज दर कम कर सकते हैं। और अगर बैंक लोन पर ब्याज की दर कम करेंगे तो अर्थव्यवस्था में ज्यादा निवेश होगा।
दूसरा फायदा- सुब्बाराव इस समय सिंगापुर के इंस्टीट्यूट ऑफ साउथ एशियन स्टडीज (आईएसएएस) में विजिटिंग फेलो हैं। आईएसएएस की वेबसाइट पर प्रकाशित लेख में उन्होंने कहा है कि ‘रियल एस्टेट’ में सबसे ज्यादा कालाधन लगा हुआ है। नोटबंदी से इस सेक्टर पर काफी असर पड़ सकता है। सुब्बाराव मानते हैं कि नोटबंदी के बाद नकद कालाधन के खात्मे के बाद जमीन-मकान इत्यादि की कीमतों और किराए में कमी आ सकती है।
तीसरा फायदा- कालेधन का अर्थ है वो पैसा जिसके बारे में आयकर विभाग को जानकारी न दी गई हो। यानी कालाधन ऐसा पैसा है जिस पर इनकम टैक्स नहीं चुकाया गया है। सुब्बाराव मानते हैं कि नोटबंदी के बाद अघोषित आय पर लगाए गए टैक्स और जुर्माने से सरकारी खजाने में बड़ी राशि आ सकती है। सुब्बाराव कहते हैं कि ये राशि कितनी होगी ये बहस का विषय हो सकती है लेकिन इतना तय है कि सरकार बैंकों में जमाराशि पर कड़ी नजर रखेगी।
चौथा फायदा- माना जा रहा है कि सरकार नोटबंदी से सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 0.5 प्रतिशत (65 हजार करोड़ रुपये) टैक्स के रूप में पा सकती है। इससे वित्तीय कनसॉलिडेशन बढ़ेगा और सरकार इस पैसे का उपयोग आधारभूत ढांचे को विकसित करने में कर सकती है। इसके अलावा नोटबंदी से नकदी राशि के बाहर आने से प्राइवेट सेक्टर में भी निवेश बढ़ सकता है।
पांचवा फायदा- सुब्बाराव मानते हैं कि थोड़े समय के लिए भले ही नोटबंदी से समस्या हो लेकिन थोड़े समय बाद इसके फायदे दिख सकते हैं। सुब्बाराव मानते हैं कि नोटबंदी से अर्थव्यवस्था की एक तरह से सफाई भी होगी जिससे बचत और निवेश पर सकारात्मक असर पड़ेगा। अर्थव्यवस्था में पारदर्शिता आने से कारोबारी सहूलियत बढ़ेगी। निवेशकों का भारतीय अर्थव्यवस्था में भरोसा बढ़ेगा। इससे भारत की उत्पादन क्षमता भी बढ़ सकती है। सुब्बाराव के अनुसार परंपरागत तौर पर सोने और जमीन-मकान के तौर पर संपत्ति जमा करने वाले भारतीय इसके बाद वित्तीय बचत की तरफ बढ़ सकते हैं जिससे अर्थव्यवस्था को फायदा होगा।