क्या कहा सेंसर बोर्ड ने?
इस चिट्ठी में लिखा गया है कि ‘दूसरी रिवाइजिंग कमेटी ने सर्वसम्मति से फिल्म को सर्टिफिकेट नहीं देने की सिफारिश की है। उनका मानना है कि फिल्म में समलैंगिक संबंधों को महिमा मंडन वाले तरीके से दिखाया गया है। फिल्म में पेंटिंग्स के जरिए पुरुष के शरीर के अहम अंगों को निरूपित करने वाली नग्नता को क्लोज शाट्स में दिखाया गया है। फिल्म में हिंदू धर्म को अवमानना वाले ढंग से दिखाया गया है। खास तौर पर भगवान हनुमान का जिस तरह (अश्लील चित्रण) उल्लेख किया गया है उससे समाज में कानून और व्यवस्था की समस्या हो सकती है। फिल्म में समलैंगिकता को दिखाने वाले पोस्टर हैं और महिलाओं के खिलाफ भी अवमानना वाली टिप्पणियां हैं. फिल्म में हिंदू संगठनों को लेकर संदर्भ हैं जो कि अवांछित हैं।’
बता दें कि इस फिल्म को पहले भी एग्जामनिंग कमेटी और रिवाइजिंग कमेटी की ओर से पिछले साल भी सर्टिफिकेट देने से इनकार कर दिया गया था। तब फिल्मकार ने केरल हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। 2 दिसंबर 2016 को केरल हाईकोर्ट ने सीबीएफसी से कहा था कि फिल्म में जिन दृश्यों को आपत्तिजनक माना गया है। उन्हें फिल्मकार को संशोधित करने या फिल्म से हटाने का मौका दिया जाए। साथ ही हाईकोर्ट ने फिल्म को सर्टिफिकेट पर दोबारा विचार करने के लिए कहा।