बॉलीवुड के प्रसिध्द लेखक और गीतकार जावेद अख्तर ने एक साहित्य महाकुंभ के उदघाटन सत्र के दौरान बताया कि कॉमन सिविल कोड पर देशव्यापी बहस हो और संविधान को आधार बनाकर निर्णय लिया जाए। जो संविधान के विरुद्ध है, उसे खारिज कर दिया जाए।
जावेद अख्तर ने कहा कि वो किसी एक ओर के अतिवाद के साथ बहने के बजाय बीच के रास्ते पर चलना पसंद करते हैं और उन्हें इसकी प्रेरणा महात्मा बुद्ध से मिलती है। दिल चाहता है सत्र में बोलते हुए जावेद अख़्तर ने कहा कि कविता और शायरी के लिए अगर सयम और शायर का हवाला देना पड़े तो इसका मतलब है कि कविता अधूरी है। कविता एक घटना या समय से प्रेरित तो हो सकती है लेकिन उसे उसी हद में बांधकर देखना ग़लत है। इस कार्यक्रम में जहां उन्होंने श्रोताओं के दिलों को टटोला वहीं अपने दिल की बातों को सबके सामने कहा। सत्र के मॉडरेटर पुण्य प्रसून वाजपेयी थे. उन्होंने उनसे कई चुभते और गुदगुदाते सवाल पूछे।
जब यह पूछा गया कि आपकी लेखनी में हमेशा बगावत दिखती है, आप यह सब कैसे कर लेते हैं तो जावेद जी नें कहा कि देखिए जो परंपरा या रवायत है। आप उससे सवाल करते हैं तो उसे बगावत कह दिया जाता है। स्थापित नियमों पर सवाल खड़े करना बगावत की श्रेणी में आ जाता है। साल 1964 में आपका मुंबई जाना और जेब में एक भी पैसे न होना साल 64 के बाद ऐसा पहली बार है कि मेरी जेब में पैसे नहीं है। आज तो उधारी भी लग गई है। पहले मिडिल क्लास की एक लिमिट होती थी। ड्राइंग रूम में फ्रिज रखा जाता था। आज समाज तरक्की कर गया है। मिडिल क्लास में सबके पास कारें हैं।
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