रिटायर्ड असिस्टेंट पुलिस कमिश्नर आईसी राज ने 1995 में लतीफ की गिरफ्तारी में अहम भूमिका निभायी थी। राज जब गुजरात एंटी-टेररिज्म स्क्वायड में तैनात थे उन्होंने महीने तक लतीफ से पूछताछ की थी। राज ने माना कि लतीफ को शुरू में स्थानीय पुलिस का संरक्षण प्राप्त था जो उसके खिलाफ होने वाली कार्रवाइयों की खबर दे देते थे। राज कहते हैं, “ये दुखद है लेकिन सच है।”
पुलिसवालों को साधने के बाद लतीफ ने नेताओं से संपर्क बढ़ाना शुरू कर दिया। उसने राजनीतिक दलों को चंदा देने से शुरू कर दिया। 1980 के दशक में ही उसे असमाजिक गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया। लतीफ जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट तक गया। उसने जमानत के लिए मशहूर वकील राम जेठमलानी की भी सेवाएं ली थीं।
