‘हिंदुत्व एक जीवनशैली’ वाले फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने दोबारा शुरू की सुनवाई

0
फाइल फोटो।
Prev1 of 2
Use your ← → (arrow) keys to browse

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच ने मंगलवार(18 अक्टूबर) को दो दशक बाद ‘हिंदुत्व एक जीवनशैली है’ वाले फैसले पर फिर से सुनवाई शुरू की। सात सदस्यों वाली संवैधानिक बेंच इस मुद्दे और इससे जुड़े विभिन्न मामलों पर दोबारा से विचार करेगी। सुप्रीम कोर्ट ने 20 साल पहले एक फैसले में कहा कि ‘हिदुत्व धर्म नहीं एक जीवन शैली है।’

प्रधान न्यायाधीश टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली सात न्यायाधीशों की पीठ ने इस मुद्दे पर सुनवाई आगे बढाने का फैसला किया और इस मामले में कुछ पक्षों के अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी को उनकी मदद के लिए शामिल करने के अनुरोध को नजरअंदाज किया।

इसे भी पढ़िए :  जिन वजहों से एनडीटीवी पर लगा बैन, उनपर अभी भी लगा है प्रश्नचिन्ह

पीठ ने शीर्ष विधि अधिकारी की मदद का मुद्दा उठाने वाले वकीलों से कहा कि ‘‘क्या आप यह कह रहे हैं कि हर मामले में जो किसी कानून की व्याख्या से संबंधित है, अटार्नी जनरल की मदद की जरूरत है।’’

इसे भी पढ़िए :  अब इस पश्चिमी देश में लगे पाकिस्तान के खिलाफ नारे, फहरा तिरंगा, देखें वीडियो

इस पीठ में न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर, न्यायमूर्ति एसए बोब्दे, न्यायमूर्ति एके गोयल, न्यायमूर्ति यूयू ललित, न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव भी शामिल हैं।

पीठ ने उन मुद्दों पर सुनवाई शुरू की जिनकी उसके द्वारा जांच की जा सकती है और जानना चाहा कि क्या इनमें से कुछ को वापस पांच या तीन न्यायाधीशों की छोटी पीठ को वापस भेजा जा सकता है।

इसे भी पढ़िए :  झमाझम बारिश से दोगुना हुआ वीकेंड का मजा, बाइकों पर घूमने निकले प्रेमी जोड़े

महत्वपूर्ण सुनवाई की शुरूआत करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद दतार ने कहा कि उनके मुवक्किल भाजपा नेता अभिराम सिंह के मामले को इस सुनवाई से अलग करना चाहिए, क्योंकि सभी समान स्थिति वाले लोगों को शीर्ष अदालत से पहले ही राहत मिल चुकी है।

पीठ जन प्रतिनिधित्व कानून 1951 की ‘‘भ्रष्ट क्रियाकलाप’’ से जुड़ी धारा 123 की व्याख्या पर गौर कर रहा है।

आगे पढ़ें, क्यों महत्वपूर्ण है यह मुद्दा?

Prev1 of 2
Use your ← → (arrow) keys to browse