एक वरिष्ठ अधिकारी ने एनडीटीवी इंडिया से कहा, “अब फ़ैसला चुनाव आयोग पर है। हमसे जितनी फ़ोर्स मांगी जाएगी हम उतनी दे देंगे।” उनके मुताबिक़ अभी भी मणिपुर में 176 कम्पनियां तैनात हैं। इसमें बॉर्डर गार्डिंग फ़ोर्स भी शामिल है। उनका कहना है कि “चुनाव आयोग और 200 के क़रीब कम्पनियां मांग रहा है और हम वो भी दे देंगे।”
उधर राज्य सरकार का तर्क है कि जिन इलाक़ों में दिक़्क़त आ रही है वहां पोलिंग पार्टी और एजेंटों को हेलिकॉप्टर के ज़रिए भेजा जा सकता है। राज्य सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने एनडीटीवी को फ़ोन पर बताया, “पीछली बार भी जब चुनाव हुए थे तब भी कुछ लोगों ने उसका बहिष्कार किया था। ये मणिपुर के लिए नई बात नहीं है।”
दिक़्क़त ये है कि मणिपुर की नई विधानसभा 17 मार्च तक बन जानी चाहिए। अगर कुछ इलाक़ों में चुनाव नहीं होगा तो विधानसभा नहीं बन पाएगी और केंद्र को वहां राष्ट्रपति शासन लगाना पड़ेगा।