डॉक्टरों का कहना है कि उनकी इस हालत का किसी को अंदाज़ा नहीं था। डॉ बेल का कहना है कि पूर्व मुख्यमंत्री को सांस लेने में दिक्कत हो रही थी जिसके बाद उन्हें अस्पताल लाया गया था। शुरूआती इन्फेक्शन के बाद उनकी की हालत सुधर रही थी, वह होश में थी और इशारों में बात भी कर रही थीं। डॉ बेल ने कहा कि उनकी हालत इतनी ठीक थी कि जब मैंने उनसे कहा कि मैं यहां का इन्चार्ज हूं तो उन्होंने कहा ‘नहीं, इन्चार्ज मैं हूं।’
बता दें कि जयललिता के अस्पताल में रहने के दौरान उनकी असल हालत को लेकर काफी कयास लगाए जा रहे थे. विरोधी पार्टियों समेत कई लोगों ने ऐसे आरोप लगाए गए कि जयललिता की असल हालत लोगों को बताई नहीं जा रही है। इसके अलावा दस्तावेज़ों पर लिए गए जयललिता के अंगूठे के निशान ने भी लोगों के मन में उनके जीवित रहने, न रहने को लेकर शक पैदा कर दिया था। डीएमके ने यह भी कहा कि जयललिता की हालत अगर ठीक है तो उनकी एक तस्वीर खींचकर क्यों न जनता को दिखाई जाएय़ इन सवालों का जवाब देते हुए डॉक्टरों ने ज़ोर देते हुए कहा कि ‘जो लोग बीमार होते हैं, उनकी तस्वीर लेना उचित नहीं है, इसे दख़लअंदाज़ी कहा जाता है।’ यह आरोप इसलिए भी लग रहे थे क्योंकि शशिकला समेत कुछ ही लोगों को जयललिता से मिलने की अनुमति थी।