नोटबंदी के बाद डिजिटल इंडिया और कैशलेस इंडिया की बड़ी-बड़ी बातें करने वाली बीजेपी ने कैश की बजाए लोगों को ऑनलाइन ट्रांजेक्शन के सपने दिखाए। उन्हें समझाया कि अगर वो 5 रुपये की चाय भी कहीं पीते हैं तो कैश के बदले ऑनलाइन पेमेंट करें। लेकिन सवाल ये खड़ा होता है कि भारत को कैशलेस ट्रांजेक्शन का रास्ता दिखाने वाली केन्द्र सरकार और बीजेपी क्या खुद कैशलेस हो पाई है ? तो ये पूरी खबर पढ़कर आपको इस सवाल का जवाब आसानी से मिल जाएगी।
दरअसल बीजेपी नेता कैशलेस इंडिया बनाने की बातें तो जरूर करते हैं लेकिन सच्चाई ये भी है कि बीजेपी मुख्यालय में अभी तक कैशलेस ट्रांजेक्शन की शुरूआत तक नहीं की गई है। ऑनलाइन न्यूज़ पोर्टल इंडिया संवाद की खबर के मुताबिक बीजेपी के मुख्यालय में बड़ी संख्या में बीजेपी और संघ के इतिहास से जुडी कई पत्र पत्रिकाएं बेचीं जाती हैं।
खबरों की माने तो भाजपा मुख्यालय स्थित विक्रय केन्द्र में अब तक डिजिटल पेमेंट की कोई व्यवस्था नहीं हो पाई है। वहां से खरीदी जाने वाले पत्र-पत्रिकाओं के लिए नगद ही भुगतान करना पड़ता है।
दिल्ली के अशोक रोड स्थित भाजपा मुख्यालय में एक विक्रय केन्द्र है, जहां से भाजपा समर्थक कार्यकर्ता व नेता पार्टी के झंडे, बड़े नेताओं की तस्वीरें, पत्र-पत्रिकाएं व राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से संबंधित साहित्य खरीदते हैं। बीजेपी से जुड़े लोगों का कहना है कि यह विक्रय केन्द्र अब भी कैशलेस व्यवस्था का इंतजार कर रहा है।
गौरतलब है कि इस विक्रय केन्द्र का संचालन बीजेपी खुद करती है और यहाँ कर्मचारियों को वेतन तक दिया जाता है। भाजपा मुख्यालय सूत्रों का कहना है कि ‘‘लाभ-हानि रहित’ के आधार पर चल रहे इस विक्रय केन्द्र का अपना कोई खाता ही नहीं है।
इस विक्रय केन्द्र का संचालन पार्टी फंड से किया जाता है और यहां से प्राप्त होने वाली राशि पार्टी फंड में ही चली जाती है। नोटबंदी को लगभग तीन महीने होने वाले हैं, लेकिन यहां पर कोई भी सामग्री खरीदने पर उसका नगद भुगतान ही करना होता है।
इंडिया संवाद के हवाले से खबर