नई दिल्ली। विदेश मंत्रालय ने गुरुवार(6 अक्टूबर) को कहा कि चीन की ‘‘सबसे महंगी’’ पनबिजली परियोजना के निर्माण के लिए तिब्बत में ब्रह्मपुत्र की एक सहायक नदी का मार्ग बीजिंग द्वारा बाधित करने का मुद्दा भारत चीन के सामने उठाएगा।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने कहा कि ‘‘हमने चीनी पक्ष को बताया है कि उन्हें इन नदियों पर किसी परियोजना के निर्माण के वक्त निचले नदी तट के देश के हितों का ख्याल रखना चाहिए।
चीनी पक्ष ने कई बार कहा है कि वे ‘रन-ऑफ-दि-रीवर’ पनबिजली परियोजनाओं पर काम कर रहे हैं जिसमें ब्रह्मपुत्र के पानी का रूख मोड़ना शामिल नहीं है।’’ ‘रन-ऑफ-दि-रीवर’ पनबिजली परियोजना उसे कहते हैं, जिसमें नहीं के बराबर जल भंडारण किया जाता है।
स्वरूप ने कहा कि ‘‘पिछली बैठक में उठाए गए सभी संबंधित मुद्दों पर विशेषज्ञ स्तर की अगली बैठक में चर्चा होगी।’’ चीन ने तिब्बत में ब्रह्मपुत्र की एक सहायक नदी को बाधित कर दिया है क्योंकि उसे पनबिजली परियोजना का निर्माण करना है। चीन के इस कदम से भारत में चिंता है क्योंकि इससे असम सहित देश में जल प्रवाह प्रभावित हो सकता है।
चीन की सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ के मुताबिक, तिब्बत के शिगजे में ब्रह्मपुत्र की सहायक नदी शियाबुकु नदी पर करीब 74 करोड़ अमेरिकी डॉलर के निवेश से ललहो परियोजना बनाई जा रही है जो चीन की सबसे महंगी परियोजना है। इस परियोजना पर जून 2014 में काम शुरू हुआ और इसे 2019 में पूरा किया जाना है।
स्वरूप ने नदी जल विवादों से निपटने के लिए भारत और चीन के बीच कई द्विपक्षीय तंत्रों के बारे में भी बात की। उन्होंने कहा कि ‘‘ब्रह्मपुत्र और सतलज सहित सीमा पार की नदियों पर सूचनाएं साझा करने के लिए चीन के साथ हमारा एक द्विपक्षीय समझौता है। हमारा एक विशेषज्ञ स्तर का तंत्र भी है जो नियमित तौर पर बैठक कर सीमा पार की नदियों से जुड़े मुद्दों पर चर्चा करता है।’’