नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट ने गुरुवार(6 अक्टूबर) को कहा कि दिल्ली सरकार अपने स्कूलों में पर्याप्त कर्मी और बुनियादी ढांचा नहीं कायम रख पा रही है, लेकिन इन जरूरतों को पूरा नहीं करने के लिए निजी स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई कर रही है।
न्यायमूर्ति संजीव सचदेवा ने कहा कि यह दर्शाता है कि दिल्ली सरकार खुद ही उन मूलभूत जरूरतों और दिशानिर्देशों का पालन नहीं कर रही है जो उसने राष्ट्रीय राजधानी में स्कूलों के लिए तैयार किए गए हैं।
अदालत ने दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया और दिल्ली में सरकारी स्कूलों, हर स्कूल में छात्रों की कुल संख्या, स्कूलों में मौजूद बुनियादी ढांचा, फर्नीचर आदि का ब्यौरा देने को कहा।
अदालत ने प्रतिवादी (सरकार) को सरकारी स्कूलों में मौजूद शिक्षण कर्मी तथा बुनियादी ढांचा के विवरण के साथ ही विभिन्न कमियों को दूर करने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का ब्यौरा देने को कहा। इस मामले में अगली सुनवाई 15 दिसंबर को होगी।
इससे पहले अदालत को बताया गया कि भाटी माइंस इलाके में दिल्ली सरकार के एक सीनियर सेकंडरी स्कूल में अस्थायी छत हैं और वहां फर्नीचर तक नहीं है। इसके बाद अदालत ने टिप्पणी की और आदेश दिया।
अदालत ने अपने आदेश में कहा कि कई तस्वीरें रिकार्ड में पेश की गयी हैं जिनसे पता लगता है कि कक्षाओं की छतें टिन की हैं। छात्रों को बैठने के लिए पर्याप्त फर्नीचर भी नहीं है।
भाटी माइंस स्थित स्कूल में अध्ययनरत याचिकाकर्ता ने वकील अशोक अग्रवाल के जरिए याचिका दाखिल की है। याचिका में स्कूल में पर्याप्त जरूरी सुविधाएं तथा पर्याप्त शिक्षक नहीं होने का जिक्र किया गया है।