बीजेपी के लिए टेढ़ी खीर बना राष्ट्रपति चुनाव, शिवसेना ने आगे किया शरद पवार का नाम

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राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के अध्यक्ष शरद पवार ने आगामी राष्ट्रपति चुनाव के निर्विरोध कराए जाने की बात कही है। महाराष्ट्र के सोलापुर में सोमवार (24 अप्रैल) को एक कार्यक्रम के दौरान शरद पवार ने कहा कि अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विपक्ष से बात करें तो राष्ट्रपति चुनाव निर्विरोध कराया जा सकता है।

इसके साथ ही पवार ने यह भी कहा कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) को राष्ट्रपति चुनाव के लिए आवश्यक समर्थन मिला हुआ है। वहीं दूसरी ओर शिवसेना ने राष्ट्रपति पद के लिए शरद पवार को सर्वसम्मत उम्मीदवार के रूप में पेश करते हुए कहा कि भाजपा को भी उनको (शरद पवार को) समर्थन देना चाहिए।

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एक समाचार चैनल से बातचीत में राउत ने कहा है कि शरद पावर काबिल हैं और काबिल राष्ट्रपति भी बन सकते हैं। हालांकि उनकी पार्टी राकांपा ने शरद पावर के राष्ट्रपति चुनाव लड़ने की संभावनाओं को खारिज किया था।

राष्ट्रपति चुनाव को सर्वसम्मति से निर्विरोध कराने की पहल होती देख शिवसेना शरद पवार की उम्मीदवारी में अपना योगदान देख रही है। उसके लिए शरद पवार एक ऐसा नाम है जिस बहाने वह अपना मूल एजेंडा चला पाएगी। शिवसेना को फिलहाल शरद पवार राष्ट्रपति चुनाव के लिए सबसे काबिल उम्मीदवार नजर आ रहे हैं। राउत ने कहा है कि पावर काबिल हैं और काबिल राष्ट्रपति भी बन सकते हैं।

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गौरतलब है कि शिवसेना पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे ने हालिया एनडीए की बैठक में शिरकत कर बीजेपी के उम्मीदवार को समर्थन का ऐलान किया है। लेकिन इस बीच वामपंथी नेता सीताराम येचुरी की तरफ से शरद पवार का नाम विकल्प के रूप में लेने से शिवसेना का मन डोल गया लगता है। हालांकि शिवसेना नेता संजय राउत याद दिला रहे हैं कि पार्टी की पहली पसंद मौजूदा स्थिति में अब भी आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ही हैं।

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हालांकि खुद शरद पवार ने राष्ट्रपति पद की दौड़ से खुद को सार्वजनिक रूप से दूर रखा है और उनकी पार्टी भी इस बात को दोहरा रही है। लेकिन चुनाव निर्विरोध कराने की पेशकश करके इस खेल में वे अपनी अहमियत कम नहीं होने देना चाहते। इसलिए शरद पवार ने याद दिलाया है कि राष्ट्रपति पद का चुनाव ऐसा नहीं कि उसे लड़कर ही नतीजा हासिल हो।

राष्ट्रपति चुनाव एनडीए और विपक्षी दलों के लिए फिलहाल टेढ़ी खीर होगी। ऐसे में यह भी देखना रोचक होगा कि क्या कांग्रेस राष्ट्रपति चुनाव में शरद पवार के पीछे पूरी ताकत लगाएगी?