दिल्ली: उरी आतंकी हमले पर चिंता व्यक्त करते हुए श्रीलंका ने आज इस बात को रेखांकित किया कि सीमा पार आतंकवाद नहीं चल सकता है और दक्षिण एशिया में आतंकवाद से लड़ाई के लिए ईमानदार प्रतिबद्धता होनी चाहिए ।
श्रीलंका के प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने कल राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मुलाकात की और आर्थिक सहयोग के तहत श्रीलंका में चलायी जा रही विभिन्न परियोजनाओं के बारे में उन्हें बताया ।
राष्ट्रपति के प्रेस सचिव वेणु राजमाणि ने अपने बयान में कहा, ‘‘ भारत में श्रीलंका के प्रधानमंत्री का स्वागत करते हुए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि दुनिया के साथ फिर से श्रीलंका के सक्रिय सम्पर्क स्थापित करने में विक्रमसिंघे की भूमिका की भारत सराहना करना है । श्रीलंका अपनी राष्ट्रीय एकता और मेलमिलाप की पहल में भारत के सतत समर्थन पर भरोसा कर सकता है।’’ इसमें कहा गया है कि राष्ट्रपति ने उरी आतंकी हमले को लेकर श्रीलंका सरकार की सहानुभूति और चिंता व्यक्त करने की सराहना की ।
आज जारी बयान में कहा गया है, ‘‘ उन्होंने कहा कि यह जरूरी है कि दोनों देश मिलकर आतंकवादियों को प्रशिक्षण एवं पनाह देने वालों और उनके विचाराधारा और वित्तीय स्रोतों को निशाना बनाएं और उन्हें अलग थलग करें । दक्षिण एशिया को क्षेत्र में आतंकवादी आधारभूत ढांचे के खिलाफ एक स्पष्ट तंत्र विकसित करने की जरूरत है । आतंकवाद के सभी स्वरूपों के खिलाफ स्पष्ट एकजुटता प्रदर्शित किये जाने की जरूरत है।’’ राष्ट्रपति ने कहा कि भारत, श्रीलंका सरकार के बिजली, नवीकरणीय उर्जा, समुद्री संसाधन, बंदरगाह और हवाई अड्डों के साथ आधारभूत ढांचे को प्राथमिकता प्रदान काने के विचारों को साझा करता है। भारत ने श्रीलंका की विकास जरूरतों को विशेष तवज्जो दी है । श्रीलंका में इसने अपनी मदद से चलने वाली परियोजनाओं के लिये 2.6 अरब डालर से अधिक राशि की प्रतिबद्धता जतायी है।
राष्ट्रपति का हवाला देते हुए बयान में कहा गया है कि श्रीलंका, भारत के पड़ोस में विशेष स्थान पर है और दोनों देशों की सुरक्षा एक दूसरे से जुड़ी हुई है।