शहीद उधम सिंह का परिवार आज एक ‘चपरासी’ की नौकरी के लिए दर दर की ठोकरें खा रहा है

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उधम सिंह
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दिल्ली: भले ही देश में राष्ट्रवाद- राष्ट्रवाद का हल्ला होता रहता हो। लोगों को राष्ट्रवाद के नाम पर धमकाया जाता हो। लेकिन राष्ट्रवाद के लिए शहीद होने वालों के लिए जमीनी हकीकत बहुत ही खराब है। जालियांवाला बाग हत्याकांड के मुख्य सूत्रधार जनरल डायर को मारने वाले शहीद उधम सिंह का परिवार आज एक चपरासी की अदद नौकरी के दर दर की ठोकरें खा रहा है।  शहीद उधम सिंह के परपोते पंजाब सरकार में नौकरी पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने 10 साल पहले उन्हें नौकरी देने का वादा किया था जो अब तक पूरा नहीं हुआ। अपनी आवाज अब वह पीएम नरेंद्र मोदी तक पहुंचाना चाहते हैं।

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हालांकि कांग्रेस सरकार की ओर से किया गया यह वादा पूरा नहीं सका क्योंकि राज्य में कांग्रेस पार्टी करीब 10 साल से सत्ता से बाहर है। उधम सिंह की बड़ी बहन आस कौर के प्रपौत्र जग्गा सिंह द्वारा शिरोमणि अकाली दल और भाजपा सरकार से बार..बार अपील किए जाने का अभी कोई परिणाम नहीं निकला है।

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