नोटबंदी के बाद अपने बैंक अकाउंट्स में लाखों-करोड़ों रुपये जमा करवाकर आयकर विभाग के नजर में आए 18 लाख लोगों में से लगभग आधे लोगों को ‘संदिग्ध’ की श्रेणी में रखा गया है। इन लोगों के खिलाफ कार्रवाई 31 मार्च के बाद की जाएगी जब सरकार की प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना (PMGKY) योजना समाप्त हो जाएगी।
सरकार के ‘ऑपरेशन क्लीन मनी’ के तहत आयकर विभाग ने 18 लाख लोगों को एसएमएस और ईमेल भेजे थे। विभाग को मिले डेटा के विश्लेषण में यह बात सामने आई कि 1000 रुपये और 500 रुपये के पुराने नोट जमा कराने के लिए मिले 50 दिनों के दौरान इन लोगों ने 5 लाख से ज्यादा रुपये अपने बैंक अकाउंट में जमा कराए। आईटी डिपार्टमेंट ने इन लोगों से कहा था कि वे 15 फरवरी तक इस संबंध में सफाई पेश करें और अपने पैसे के स्रोत का खुलासा करें।
नवभारत टाइम्स ने अपने सूत्रों के हवाले से बताया है कि जिन लोगों ने आयकर विभाग को कोई जवाब नहीं दिया, उनके पास जरूर अपने डिपॉजिट का ‘बेहतर कानूनी स्पष्टीकरण’ होगा और हो सकता है कि उन्होंने अपने रिटर्न में इसे शामिल करने का विकल्प चुना हो। लेकिन उसे सर्फ इनकम टैक्स रिटर्न में दिखा देने भर से काम नहीं चलेगा क्योंकि पिछले सालों की तुलना में अगर 2016-17 की कमाई में अप्रत्याशित उछाल देखा जाता है तो उसे कालाधन ही माना जाएगा और उस हिसाब से कानूनी कार्रवाई की जाएगी।